सुंदरगढ़. सुंदरगढ़ जिले में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यातायात नियम और मोटर वाहन कानून कड़े किये गये, लेकिन इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. पिछले दो साल की बात करें तो सुंदरगढ़ जिले में सड़क दुर्घटनाओं में 753 लोगों ने अपनी जान गंवायी है. बीजू एक्सप्रेस-वे और जिले में खनिज उत्पादों के परिवहन के लिए उपयोग की जाने वाली सड़कों पर दुर्घटनाएं अधिक होती हैं.
झारसुगुड़ा और संबलपुर जिले से यह आंकड़ा काफी ज्यादा है. विगत दो वर्ष में झारगुड़ा जिले में 213 और संबलपुर जिले में 379 लोगों की मौत हुई है. जिले के राजगांगपुर, कुतरा व बड़गांव थाने से गुजरने वाले बीजू एक्सप्रेस-वे पर पिछले तीन साल में सड़क हादसों में 175 लोगों की जान जा चुकी है.जबकि 173 घायल हुए हैं. दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए, सुंदरगढ़ के तत्कालीन जिलापाल निखिल पवन कल्याण ने अक्टूबर 2020 से कोयला, लौह अयस्क आदि ले जाने वाले ट्रकों से दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था की थी.
इसके लिए खनिज पदार्थ ढोने वाले ट्रकों से राशि एकत्रित कर जिला रेडक्राॅस कोष में जमा कराया जाता है, जिससे दुर्घटना में मौत होने पर मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये, दिव्यांग होने पर दो लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल को एक लाख रुपये व मामूली रूप से घायल को 50 हजार रुपये की सहायता राशि देती है. इसी तरह राज्य सरकार के परिवहन विभाग ने मई 2018 से सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के लिए सोलेसियम योजना के तहत सहायता की व्यवस्था की है. अज्ञात वाहन से सड़क दुर्घटना में जान गंवाने वालों के परिजनों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये दिये जाते हैं. लेकिन, जब तक वाहन चालक यातायात नियमों के प्रति जागरूक नहीं होंगे सड़क हादसों पर अंकुश लगा पाना संभव नहीं है.
सड़क हादसे रोकने के लिए बीजू एक्सप्रेस-वे और अन्य सड़कों पर स्वचालित गति निगरानी सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं और उल्लंघन करने वालों को ई-चालान के माध्यम से जुर्माना किया जा रहा है. इसी तरह शराब पीकर वाहन चलाने वालों के लिए ब्रेथ एनालाइजर सिस्टम, हाइवे पर 24 घंटे इंटरसेप्टर, हेलमेट, सीट बेल्ट की जांच नियमित की जा रही है. लेकिन, जांच का यह काम जिस तरह से होना चाहिये, वैसा नहीं हो पा रहा है, जिससे भी दुर्घटनाएं हो रही हैं.