Aarti: ॐ जय जगदीश हरे… आरती के बिना अधूरी मानी जाती हैं पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा

Putrada Ekadashi ki Aarti: आज जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि आप पुत्रदा एकादशी का व्रत है, तो शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद उनकी आरती जरुर करें.

By Radheshyam Kushwaha | August 27, 2023 1:01 PM

Putrada Ekadashi ki Aarti: एकादशी तिथि की हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया गया है. आज सावन मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि है. इस एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है. आज जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि आप पुत्रदा एकादशी का व्रत है, तो शाम के समय भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने के बाद उनकी आरती जरुर करें. एकादशी व्रत करने से व्रती को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. अगर आप भी भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा पाना चाहते हैं तो पुत्रदा एकादशी पर विष्णु जी की यह आरती जरूर करें. इससे घर में सुख और समृद्धि का आगमन होगा. मान्यता है कि आज शाम के समय भगवान विष्णु की आरती किए बिना व्रत पूजा अधूरी रह जाती है.

भगवान विष्णु की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

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माता लक्ष्मी की आरती

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत,

मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

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