OMG 2 फिल्म में न्यायालय के अपमान और धार्मिक भावना आहत होने पर अधिवक्ता नाराज, सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका
आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रतीक चौधरी ने कहा कि न्यायालय गरिमामयी स्थान होता है. जब कोई पीड़ित होता है तो न्यायालय की ओर बड़ी आस से देखता है. लेकिन फिल्म में न्यायालय का मजाक उड़ाया गया है. अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया.
अलीगढ़: OMG 2 फिल्म के कुछ दृश्यों को लेकर अधिवक्ता समाज ने आपत्ति जताई है. इसको लेकर उन्होंने नोटिस भेजी है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिक डाली गई है. अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट में 156 (3) के तहत बाद दायर किया गया है. फिल्म में न्यायालय, कोर्ट रूम और जज साहब का भद्दा मजाक बनाये जाने पर अधिवक्ताओं ने नाराजगी जताई है.
न्यायालय गरिमामयी स्थान
आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रतीक चौधरी ने कहा कि न्यायालय गरिमामयी स्थान होता है. जब कोई पीड़ित होता है तो न्यायालय की ओर बड़ी आस से देखता है. लेकिन फिल्म में न्यायालय का मजाक उड़ाया गया है. अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया. अधिवक्ता न्यायालय का ही हिस्सा माना जाता है. इसलिए अपनी जिम्मेदारी समझी है और पूरे देश के अधिवक्ताओं में फिल्म को लेकर रोष है. एडवोकेट प्रतीक चौधरी ने बताया की फिल्म को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भेजी गई है. जिससे फिल्म से जुड़े लोगों पर कठोर से कठोर कार्रवाई हो और न्यायालय की गरिमा से कोई छेड़छाड़ न कर सके.
न्यायालय का किया गया अपमान
आरटीआई कार्यकर्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रतीक चौधरी ने कलेक्ट्रेट के बार एसोसिएशन कक्ष में पत्रकार वार्ता में बताया कि अक्षय कुमार अभिनीत हिंदी फिल्म OMG 2 के विवादित दृश्य व फिल्म के निर्माता-निर्देशक, अभिनेता, अभिनेत्री ने न्यायालय का अपमान किया है. एक दृश्य में न्यायालय के डाइस के ऊपर एक बल्ब की मशीन से मर्दानगी टेस्ट करते हुए दिखाया गया है. जिसमें भरी कोर्ट में जज साहब समेत पूरा न्यायालय इस टेस्ट पर ठहाके लगा कर हंस रहा है. उन्होंने कहा कि न्यायालय की अपनी गरिमा होती है और यह टेस्ट न्यायालय के आदेश पर अन्य प्रक्रिया के तहत मेडिकल बोर्ड द्वारा किए जाते हैं. इनकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, क्योंकि यह किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार होता है. यहां न्यायालय का अपमान किया गया है.
17 लोगों को नोटिस
उन्होंने कहा कि 11 अगस्त को सिनेमाघरों में ओमजी 2 फिल्म रिलीज हुई. इस फिल्म का निर्माण वाया काम 18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. जिसमें फिल्म निर्माता विपुल शाह, अमृतलाल शाह, राजेश बहल, अश्विनी वर्दे, अरुण गोविल, अजीत अंधेरे, स्वरूप संपत, ज्योति देशपांडे, अरुण भाटिया आदि शामिल हैं. इस फिल्म के निदेशक अमित राय हैं. वहीं फिल्म में अभिनेता अक्षय कुमार, पंकज त्रिपाठी, यामी गौतम, पवन मल्होत्रा, अरुण गोविल ने अभिनय किया है. क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी फिल्म निर्माण कंपनी वाया काम 18 मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के ब्रांड एंबेसडर है. इसलिए वह भी इस कृत्य में बराबर के दोषी हैं.
धार्मिक भावनाओं का आहत किया
प्रतीक चौधरी ने बताया की फिल्म में भगवान शिव के गण के रूप में अभिनेता अक्षय कुमार ने एक्टिंग की है. जो कई जगहों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करते हुए नजर आएं. फिल्म में मेरे आराध्य भगवान भोलेनाथ के गण को मजाक बनाकर मेरे धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया. वहीं फिल्म के दृश्य में माननीय न्यायालय का अपमान किया गया. न्यायालय को और न्यायाधीश को मजाक बनाया गया. फिल्म के एक दृश्य में खचाखच भरे कोर्ट के अंदर न्यायाधीश अपनी कुर्सी पर बैठ अपने मोबाइल के कैमरे से सेल्फी खींच रहे हैं.
माफी मांगने के लिये 15 दिन का समय दिया
उन्होंने बताया की फिल्म के डायरेक्टर, एक्टर, प्रोड्यूसर समेत 17 लोगों को नोटिस भेजा गया है. 15 दिन का समय उन्हें माफी मांगने के लिये दिया गया है. अन्यथा सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. वही अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट में (156) 3 के तहत प्रार्थना पत्र दिया गया है. सीजेएम कोर्ट ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी है. वकीलों की हड़ताल के चलते कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है. एडवोकेट प्रतीक चौधरी ने कहा कि जितना बड़ा भी एक्टर हो, डायरेक्टर हो, न्यायालय की गरिमा से खिलवाड़ करेंगे, तो जब तक उनको जेल में नहीं पहुंचा दिया जाता, चैन से नहीं बैठेंगे.