Kanpur : गुरुनानक देव के जन्मोत्सव पर मोतीझील में तीन लाख लोगों ने छका लंगर

साहिब श्री गुरूनानक देव जी महाराज के प्रकाशोत्सव पर करीब तीन लाख लोगों के लिए सोमवार को मोतीझील में लंगर छकने की व्यवस्था की गई.श्री गुरू सिंह सभा लाटूश रोड द्वारा श्री गुरूनानक देव जी महाराज का 554 वां तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 27, 2023 9:53 PM

कानपुर : साहिब श्री गुरूनानक देव जी महाराज के प्रकाशोत्सव पर करीब तीन लाख लोगों के लिए सोमवार को मोतीझील में लंगर छकनेकी व्यवस्था की गई.श्री गुरू सिंह सभा लाटूश रोड द्वारा श्री गुरूनानक देव जी महाराज का 554 वां तीन दिवसीय प्रकाशोत्सव मनाया जा रहा है.रविवार को दूसरे दिन सुबह सात बजे से भाई कुलदीप सिंह, भाई भूपिंदर सिंह गुरदासपुरी, भाई जगतार सिंह जम्मू वाले ने शबद गायन करके संगतों को मुग्ध किया. गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी हरपाल सिंह ने गुरमत विचार रखे.ऐसे ही शाम 6 बजे पाठ श्री रहिरास साहिब जी के बाद स्कूली बच्चों ने कीर्तन किया.उधर लंगर के इंचार्ज मंजीत सिंह सागरी ने बताया कि सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे से लंगर प्रारंभ हो गया है.जिसे 3 लाख लोंगो ने अभी तक छका है.उन्होंने बताया कि 70 कुंतल आटा, 60 कुंतल दाल, 60 कुंतल आलू व गोभी, 30 टीन देशी घी, 4 ट्रक लकड़ी व अन्य सामग्री आयी है जबकि घरों से भी लोग लंगर बनाकर ला रहे हैं. गुरुसिंह सभा के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह लार्ड ने संगत का शुक्रिया अदा किया. मदन सिंह, सुखविंदर सिंह लाडी भल्ला, महेंद्र सिंह बिंद्रा, टीटू सागरी आदि लंगर में मौजूद रहे. उधर श्री गुरू सिंह सभा कानपुर महानगर के चेयरमैन सरदार कुलदीप सिंह ने गुरु गोविंद सिंह द्वार को सजाया.

गुरु नानक जी ने शुरू कराई परंपरा

प्रसिद्ध रागी डॉ. दलबीर सिंह मल्होत्रा ने बताया कि सिख पंथ के प्रवर्तक श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं सर्वकालिक और संपूर्ण मानवता के लिए थीं. गुरुजी ने विश्व की भलाई के लिए उपदेश दिए.श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षा का उद्देश्य मानव का संपूर्ण कायाकल्प करना और सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में सर्वपक्षीय क्रांति लाना था.श्री गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन वर्ष 1469 ई को तलवंडी (अब पाकिस्तान) में हुआ.उन्होंने जगत के कल्याण के लिए जो विचारधारा दी उसमें परिश्रम करना, बांटकर खाना और प्रभु का नाम लेना प्रमुख है.गुरुजी ने अनेक धर्म-यात्राएं कीं, जिन्हें उदासियां कहते हैं.उन्होंने भोजन तैयार करवाकर भूखे साधु-सन्तों को तृप्त कर सच्चा सौदा किया.

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वाहे गुरु-वाहे गुरु कहते की लंगर सेवा

छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग पुरुष और महिलाओं ने रविवार सुबह से लेकर सोमवार की सुबह तक लंगर की सेवा की. महिलाएं बड़ी संख्या में सुबह से मौजूद रहीं, जो गोभी के फूल तोड़ रही थीं. आलू काट रही थीं.प्रशादे के लिए लोई तैयार कर रही थीं. सभी में उत्साह उमड़ रहा था.

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