प्रशासन की पहल पर कोडरमा के तीन गांव बनेंगे स्वावलंबी, शिक्षा, कृषि और स्वच्छता से बदलाव की होगी कोशिश
jharkhand news: कोडरमा के 3 गांव में जल्द बदलाव दिखेगा. पहले फेज में इन तीनों गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी शुरू हो गयी है. इसके तहत शिक्षा के साथ-साथ कृषि एवं साफ-सफाई के क्षेत्र में श्रमदान से बदलाव की कोशिश होगी.
Jharkhand news: विभिन्न सरकारी योजनाओं से गांवों के विकास को लेकर भले ही खाका खींचा जाता रहा है और इसी अनुरूप काम होते रहे हैं, पर कोडरमा जिला प्रशासन इस बार अलग पहल करने की तैयारी में है. जिले के कुछ गांवों को पूरी तरह स्वावलंबी बनाने की दिशा में काम शुरू किया गया है. आनेवाले दिनों में इन गांवों में स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ही तस्वीर बदलने की कोशिश होगी. इसके लिए जिला प्रशासन ने पहल शुरू की है.
पहले फेज में कोडरमा प्रखंड के कमयडीह, नईटांड और बनौता फुलवरिया गांव का चयन स्वावलंबी गांव के रूप में विकसित करने को लेकर किया गया है. इसके बाद चंदवारा प्रखंड के पिपराडीह और जयनगर के तमाय पंचायत में भी इस तरह की पहल होगी. गांवों को स्वावलंबी बनाने को लेकर ग्रामीणों को जागरूक व एकजुट कर काम किया जायेगा. लोगों को शिक्षा के साथ कृषि, पर्यावरण संरक्षण एवं साफ-सफाई के क्षेत्र में श्रमदान कर बदलाव लाने को प्रेरित करने की तैयारी है. इसके अलावा अन्य बिंदुओं पर भी स्थानीय ग्रामीणों की मदद से ही बदलाव लाने की कोशिश होगी.
जानकारी के अनुसार, डीसी आदित्य रंजन ने इस दिशा में काम करना शुरू किया है. इसके तहत चुनिंदा गांवों में पहले ग्रामीणों से बातचीत और बैठक के बाद आगे की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है. गांव के लोगों को श्रमदान से अपने आसपास बदलाव लाने को लेकर प्रेरित किये जाने की शुरुआत हुई है. स्वावलंबी गांव बनाने के लिए सबसे पहले वहां की आबोहवा बदलने की कोशिश है.
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इसके तहत श्रमदान कर गांव की पूरी तरह साफ-सफाई, पौधारोपण, सोकपिट निर्माण एवं अन्य कार्य किये जायेंगे. साथ ही कृषि के क्षेत्र में ऑर्गेनिक फार्मिंग को लेकर कार्य कराया जायेगा. ग्रामीणों को इसके लिए तैयार करने के उद्देश्य से चुनिंदा गांवों में ऑरिऐंटेशन देने का काम चल रहा है. विशेष टीम इसके लिए काम कर रही है और ग्रामीणों को तैयार करने में लगी है.
स्वावलंबी बनाने को लेकर ये होगा प्रयास
– गांव के लोगों में एक-दूसरे के प्रति विश्वास की प्रवृत्ति लाना यानी एकता बनाना
– नियमित ग्रामसभा का आयोजन और इसमें शत-प्रतिशत ग्रामीणों की भागीदारी
– अशिक्षित लोगों को शिक्षित बनाने के लिए टोली का निर्माण
– श्रमदान से प्रतिदिन गांव की साफ-सफाई
– गंदगी का उचित प्रबंधन, घर-घर सोख्ता गड्ढा का निर्माण
– स्वच्छता के लिए उचित प्रबंधन, घर-घर डस्टबीन, जगह-जगह सामूहिक जगहों पर डस्टबीन
– पानी और मिट्टी के बचाव को लेकर उचित प्रबंधन
– उन्नत खेती, बागवानी, पोषण वाटिका, कंपोस्ट पिट खाद निर्माण को लेकर पहल
– नशा मुक्ति, कुप्रथा एवं जंगल कटाव पर रोक को लेकर जागरूकता
– गांव में स्थित सामुदायिक जगहों और भवनों की उचित देखरेख.
जब लोग आदर्श होंगे, तो गांव भी स्वावलंबी बनेगा : डीसी
इस संबंध में डीसी आदित्य रंजन ने कहा कि जब लोग आदर्श होंगे, तो गांव भी स्वावलंबी बन सकते हैं. अक्सर देखने में आता है कि लोग योजना, पेंशन, राशन आदि की मांग करते हैं, जबकि वे इसका खुद लाभ उठाते हुए बदलाव की बड़ी लकीर खींच सकते हैं. जिला प्रशासन ने इसी दिशा में काम करने की शुरुआत की है, ताकि मांगने की परंपरा बंद हो. स्वावलंबी गांव में लोग अपने कार्य खुद करेंगे. जरूरत पड़ने पर कुछ सहयोग जिला प्रशासन करेगा. हालांकि, इसमें फंड और योजना देने जैसी कोई बात नहीं रहेगी. कोशिश यही है कि लोगों के प्रयास से गांव खुद में उभरकर सामने आएं और एक ऐसी स्थिति में पहुंच सके जो खुद में रेवन्यू विलेज बने. ऐसे गांव अन्य के लिए आदर्श होंगे.
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रिपोर्ट : विकास, कोडरमा.