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Onam 2022: आज मनाया जा रहा है ओणम का त्योहार, यहां देखें मुहूर्त और पूजा विधि

Onam 2022: धार्मिक कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष थिरुवोणम नक्षत्र 07 सितंबर 2022 की शाम 04:05 बजे से प्रारंभ हो जाएगा, जो 08 सितंबर 2022 की दोपहर 01:40 बजे तक बना रहेगा. ओणम का पावन पर्व आज यानी 08 सितंबर तक मनाया जा रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 8, 2022 10:06 AM

Onam 2022: ओणम का पावन पर्व दक्षिण भारत में दस दिनों तक बड़ी धूम-धाम से मनया जाता है और इस दिन लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाते हैं. 23 अगस्त से प्रारंभ हुआ यह पावन पर्व आज यानी 08 सितंबर तक मनाया जा रहा है.

शुभ-मुहूर्त

धार्मिक कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष थिरुवोणम नक्षत्र 07 सितंबर 2022 की शाम 04:05 बजे से प्रारंभ हो जाएगा, जो 08 सितंबर 2022 की दोपहर 01:40 बजे तक बना रहेगा. थिरुवोणम् नक्षत्र 8 सितंबर को लग रहा है इसलिए ओणम इसी दिन मनाया जाएगा. इसके अलावा, इस बार ओणम पर सुकर्मा और रवि जैसे शुभ योग भी बन रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि ओणम के दिन पूरे विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती हैं.

इस तरह मनाया जाता है ओणम

दक्षिण भारत मे ओणम बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है इस दिन लोग अपने घरों को रंगोली, फूल इत्यादि से सजाते हैं. साथ ही अनेक स्वादिष्ट पकवान जैसे रसम, चडी, पुलीसेरी और खीर आदि बना कर इस पर्व को हर्सोल्लास के साथ मानते हैं. इस पर्व के दौरान केरल में नौका दौड़ भैंस और बैल दौड़ प्रतियोगिता आयोजित करतें हैं.

ओणम का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, सदियों पहले महाबलि नाम के एक शक्तिशाली राजा हुए. उन्होंने तीनों लोकों (भू, देव और पाताल) पर राज किया. राक्षस योनि में पैदा होने के बावजूद भी उदार चरित्र होने के कारण उन्हें प्रजा बहुत प्यार करती थी, परंतु देवता उनसे ख़ुश नहीं थे, क्योंकि महाबलि ने उन्हें युद्ध में परास्त करने के बाद देवलोक पर शासन किया था. युद्ध में परास्त सभी देवता त्राहि माम करते हुए भगवान विष्णु के द्वार पर पहुँचे और उनसे अपना साम्राज्य वापस दिलाने की प्रार्थना की.

इस पर विष्णुजी ने देवताओं की मदद के लिए वामन अवतार का रूप धारण किया, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण बने. दरअस्ल, ब्राह्मण को दान देना शुभ माना जाता है, इसलिए वामन का रुप धारण कर भगवान विष्णु राजा महाबलि के दरबार पर पहुँचे. राजा बलि ने जैसे ही ब्राह्मण यानि भगवान विष्णु से उनकी इच्छा पूछी तभी भगवान विष्णु ने उनसे केवल तीन क़दम ज़मीन मांगी. यह सुनते ही राजा महाबलि ने हाँ कह दिया और तभी भगवान विष्णु अपने असली रूप में आ गए. उन्होंने पहला कद़म देवलोक में रखा जबकि दूसरा भू लोक में और फिर तीसरे क़दम के लिए कोई जगह नहीं बची तो राजा ने अपना सिर उनके आगे कर दिया.

विष्णुजी जी ने उनके सिर पर पैर रखा और इस तरह महाबलि पाताल लोक पहुँच गए. राजा ने यह सब बड़े ही विनम्र भाव से किया. यह देखकर भगवान विष्णु उनसे प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, तब महाबलि ने कहा कि, हे प्रभु! मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे साल में एक बार लोगों से मिलने का मौक़ा दिया जाए. भगवान ने उनकी इस इच्छा को स्वीकार कर लिया, इसलिए थिरुवोणम के दिन राजा महाबलि लोगों से मिलने आते हैं.

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