पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. एक बोर्डिंग स्कूल के आठवीं के छात्र ने स्कूल में छुट्टी कराने के लिए इसी स्कूल के पहली कक्षा के छात्र को मौत के घाट उतार दिया. 30 जनवरी को हुई यह घटना जब सार्वजनिक हुई, तो सब सन्न रह गए. मानसिक रोग विशेष और समाजशास्त्री इसके लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार मानते हैं. उनका कहना है कि बच्चे आजकल दोस्तों से ज्यादा मोबाइल, कम्प्यूटर पर वक्त बिताते हैं. वीडियो गेम्स और इंटरनेट देखकर उनमे कई तरह के बदलाव आते हैं, जिसकी वजह से वे ऐसी घटना को अंजाम देते हैं.
पुलिस की पूछताछ में आरोपी छात्र ने बताया कि उसने स्कूल में छुट्टी कराने के उद्देश्य से पहली कक्षा के छात्र की जान ले ली. इस हृदयविदारक घटना से जिले में सनसनी फैल गयी. पता चला है कि 30 जनवरी 2024 को बोर्डिंग स्कूल के पास एक तालाब के किनारे से स्कूल के पहली कक्षा के छात्र सुदीप महतो (6) लहूलुहान हालत में अचेत मिला था. उसे तुरंत स्कूल के शिक्षक स्थानीय मानबाजार प्रखंड स्वास्थ्य केंद्र ले गए. यहां से उसे पुरुलिया देवेन महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया. वहां ले जाने पर बच्चे को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया.
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ज्ञात हो कि स्कूल की ओर से पहले इसे अस्वाभाविक मौत का मामला बताया गया था. खबर पाकर सुदीप के परिजन अस्पताल पहुंचे, तो देखा कि बच्चा मर चुका है. उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे. खून भी बहा था. पीड़ित महतो परिवार की शिकायत पर मानबाजार थाने में हत्या का मामला दर्ज हुआ. पुलिस ने मंगलवार शाम को स्कूल के आठवीं के छात्र से पूछताछ की, तो पता चला कि बच्चे की हत्या की गई थी. इसकी वजह जानकर पुलिस वाले भी सन्न रह गए.
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पुरुलिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिजीत बनर्जी ने बताया कि आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया गया है. पहले उसे जिले के आनंद-मठ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) में पेश किया गया. वहां से उसे हुगली कल्याण भारती होम भेज दिया गया. इस बीच, पुलिस यह भी देख रही है कि घटना के पीछे कोई और कारण तो नहीं है. उधर, पीड़ित महतो परिवार हत्या के लिए आरोपी छात्र के साथ स्कूल के शिक्षक व प्रबंधन कमेटी के सदस्यों पर भी अंगुली उठा रहा है. एक निजी बोर्डिंग स्कूल में ऐसी घटना होने का मतलब है कि वहां उचित प्रबंध व सुरक्षा नहीं है, जिससे एक मासूम बच्चे की जान चली गयी.
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डाॅक्टर अभिषेक हंसा कहते हैं कि समाज में इस तरह की घटनाएं होती हैं, तो दिल दहल जाता है. हम अगर इस तरह की घटना को अंजाम देने वाले बच्चों की मानसिकता की बात करें ,ताे यह एक तरह डिसऑर्डर है. कई बच्चों में पैथोलॉजिकल प्रॉब्लम होता है. इसकी वजह से बच्चे पहले जानवरों को मारना शुरू करते हैं. फिर कत्ल जैसी घटना को अंजाम दे बैठते हैं. ऐसे बच्चों काे इलाज की आवश्यकता होती है. काउंसलिंग की जरूरत होती है. ऐसे क्राइम के लिए मोबाइल सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. मोबाइल में बच्चे क्या देखते हैं, अभिभावक को भी नहीं मालूम होता. अगर आपका बच्चा लगातार मोबाइल का इस्तेमाल कर रहा है, तो अभिभावकों को सतर्क रहने की जरूरत है. मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों के लिए खतरा बनता जा रहा है.
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डाॅक्टर रंजन घोष कहते हैं कि पुरुलिया में जो घटना हुई है, वह बच्चों में समय के साथ आने वाले बदलाव को दर्शाता है. मानसिक बीमारी की वजह से उसने ऐसी घटना को अंजाम दिया होगा. अभिभावकों को ज्यादा सतर्क होना होगा. डाॅक्टर बप्पादित्य चौधरी ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देने की जरूरत है. बदलते समय में मोबाइल, इंटरनेट के जरिये बच्चों में कई दिमागी बदलाव आते हैं. तब ऐसी घटना को अंजाम देते हैं.
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