एक लाख लोग करेंगे कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव, वैक्सीन घोटाला की हो सीबीआई जांच, बोली बीजेपी
एक लाख लोग करेंगे कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव, वैक्सीन घोटाला की हो सीबीआई जांच, बोली बीजेपी
कोलकाताः भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पश्चिम बंगाल में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है. प्रदेश भाजपा के महासचिव सायंतन बसु ने कहा है कि अगले महीने एक लाख लोग लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव करेंगे. राज्य की गिरती कानून-व्यवस्था के विरोध में यह प्रदर्शन किया जायेगा.
सायंतन बसु ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेश में कथित कोरोना वैक्सीन घोटाला की सीबीआई जांच की मांग भी की है. श्री बसु ने कहा कि राजधानी कोलकाता में जो फर्जी कोविड वैक्सीनेशन कार्यक्रम चल रहा है, उसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच करायी जाये. उन्होंने कहा कि इस घोटाला में अधिकारी भी शामिल हैं.
We demand a Central Bureau of Investigation (CBI) inquiry in a fake #COVID vaccination drive case in Kolkata. Probe is underway but the matter requires CBI inquiry as it involves officials. We also want the Centre to look into it: Sayantan Basu, West Bengal BJP General Secretary pic.twitter.com/Dj1f2hwWRI
— ANI (@ANI) June 25, 2021
प्रदेश भाजपा के महासचिव श्री बसु ने कहा कि चूंकि इस मामले में अधिकारी भी संलिप्त हैं, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से ही करायी जानी चाहिए. राज्य की एजेंसियां इस केस की निष्पक्ष जांच नहीं कर पायेंगी. उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के परिणाम सामने आने के बाद से भाजपा लगातार सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा करने का आरोप लगा रही है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से अब तक 30 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की तृणमूल समर्थित गुंडों ने हत्या कर दी है.
चुनाव आयोग के शासन में हुई थी बंगाल में हिंसा
हालांकि, प्रदेश की मुखिया और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी भाजपा नेताओं के इन आरोपों को सिरे से खारिज करती हैं. उनका कहना है कि बंगाल में पूरी तरह से शांति है. इक्का-दुक्का अपराध की घटनाएं हुईं हैं, जिसे भाजपा वाले बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो भी हिंसा हुई, उस समय बंगाल में टीएमसी की सरकार नहीं थी. उस वक्त प्रशासन की बागडोर चुनाव आयोग के हाथों में थी, सरकार के नहीं.
Posted By: Mithilesh Jha