झारखंड : चक्रधरपुर में 36 बीड़ी कंपनियां बंद, एक लाख मजदूरों ने किया पलायन
चक्रधरपुर में 36 बीड़ी कंपनियां बंद हो गई हैं, जिसके कारण एक लाख मजदूर पलायन कर गए हैं. कभी यहां 40 बीड़ी कंपनी संचालित होती थी, जो अब घटकर मात्र चार रह गए हैं. इसमें काम कर रहे मजदूरों में अपनी व्यथा बताई है.
चक्रधरपुर, रवि मोहांती. पश्चिमी सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर शहर में 36 बीड़ी कंपनियां बंद हो गई हैं, जिसके कारण एक लाख मजदूर पलायन कर गए हैं. तीन दशक पहले शहर में 40 बीड़ी कंपनी संचालित हो रही थी, जो अब घटकर मात्र चार रह गए हैं. इसमें महज तीन हजार मजदूर ही काम करके अपना जीवन-यापन कर पा रहे हैं.
बीड़ी मजदूरों के बच्चों को छात्रवृति मिलती थी, जो पिछले पांच सालों से बंद हो गई है. मजदूरों का स्वास्थ्य कार्ड तक नहीं बन रहा है. जिस कारण उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली दवाएं आदि नहीं मिल पा रही है. मजदूरों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए तत्कालीन मुखयमंत्री अजुर्न मुंडा के कार्यकाल से बनाए जा रहे बीड़ी अस्पताल आज भी लोदोड़ीह में अधूरा है.
सरकार की ओर से 10 बेड का एक अस्पताल चक्रधरपुर में निर्माण कराया जाना था. लेकिन वह अस्पताल अब झुमरीतलैया भेज दिया गया है. बीड़ी कंपनी में काम करने वाले मजदूरों को केवल पीएफ और पेंशन की सुविधा मिल रही है. अब चक्रधरपुर में पंकज बीड़ी कंपनी, पिल्ली बीड़ी कंपनी, टीएम पटेल बीड़ी कंपनी और समाज बीड़ी कंपनी संचालित हो रही है.
बीड़ी कंपनी से चल रहा था चक्रधरपुर!
1990 में बड़े पैमाने में चक्रधरपुर में बीड़ी उद्योग चल रहा था. एक तरह बीड़ी और दूसरी तरफ रेल थी. लाखों लोग दोनों कंपनी में काम करते थे. उस वक्त बीड़ी उद्योग के पैसों से ही चक्रधरपुर बाजार चल रहा था. लेकिन दूसरे राज्य में मजदूरी दर अधिक मिलने के कारण यहां के मजदूर पलायन करने लगे. यहां प्रत्येक बीड़ी कंपनी में 8 से 10 हजार मजदूर कार्य कर रहे थे. एक तरफ मजदूरों का पलायन और दूसरी ओर बीड़ी कंपनियों से रंगदारी और चंदा उगाही ने कंपनियों को बंद कराने में अहम रोल अदा किया.
40 बीड़ी कंपनी में काम करते थे एक लाख से अधिक मजदूर
चक्रधरपुर शहर में छोटी बड़ी मिला कर 40 बीड़ी कंपनी थी. जिसमें सूरती बीड़ी कंपनी, विदर्भ बीड़ी कंपनी, सीजे पटेल बीड़ी कंपनी, मनोहर भाई अंबालाल बीड़ी कंपनी, मेघना बीड़ी कंपनी, पीडी पटेल बीड़ी कंपनी, ढ़ोलक बीड़ी कंपनी, पीके परवाल बीड़ी कंपनी समेत अन्य बीड़ी कंपनियां थीं. केवल इन एक-एक कंपनियों में प्रत्येक दिन 10 से 40 लाख बीड़ी मजदूरों द्वारा बनाए जाते थे. अब पंकज बीड़ी, पिल्ली बीड़ी, टीएम पटेल बीड़ी व समाज बीड़ी कंपनी चक्रधरपुर में हैं. लेकिन लोगों की डिमांड नहीं होने के कारण कंपनी केवल मजदूरों का पेट पाल रही है.
चक्रधरपुर से ओड़िशा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में होती है सप्लाई
चक्रधरपुर से पहले पूरे देश में बीड़ी की खपत होती थी. लेकिन अब ओडिशा, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश राज्य में ही बीड़ी भेजी जाती है. जिसमें बरैली, मुरादाबाद, अलीगढ़, बीजनोर, कटक, भुवनेश्वर समेत मध्य प्रदेश के कुछ शहर शामिल हैं.
क्वालिटी के आधार पर मिलता है केंदु पत्ता
चक्रधरपुर शहर में संचालित बीड़ी कंपनियों को वन विभाग निगम से क्वालिटी के आधार पर केंदु पत्ता उपलब्ध होता है. जिसे 100 से 150 रुपए प्रति किलो के दाम से खरीदा जाता है.
तीन दशक पहले चक्रधरपुर शहर में बीड़ी कंपनियों की बोलबाला थी. अब कंपनी केवल मजदूरों का पेट पाल रही है. ऐसी स्थिति रही, तो कुछ सालों में बीड़ी कंपनी बंद हो जाएगी. जिसके बाद हमलोग भी अपने राज्य लौट जाएंगे. क्योंकि बीड़ी के प्रति लोगों की डिमांड कम हो रही है- रमेश भाई पटेल, सचिव, सिंहभूम बीड़ी एसोसिएशन
गरीबों को रोजगार बीड़ी कंपनियां दे रही थी. तब श्रमिकों और कंपनियों के कारण बाजार में काफी क्रय-विक्रय होता था. शहर गांव सभी में खुशहाली थी. लेकिन बीड़ी कंपनियों के बंद हो जाने से कोरोबार में काफी प्रभाव पड़ा. झारखंड से पलायन रोकने में बीड़ी कंपनियों का फिर से खुलना जरूरी है- विनोद भगेरिया, अध्यक्ष, सिंहभूम बीड़ी एसोसिएशन
मजदूर क्या कहते हैं?
बीड़ी श्रमिकों को पेंशन, पीएफ, स्वास्थ्य सुविधा, बच्चों को बेहतर शिक्षा, आवास योजना का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन पेंशन व पीएफ के अलावा अन्य लाभ नहीं मिल रहा है- धरमेंद्र प्रधान, बानालता
पहले सरकार द्वारा बीड़ी मजदूरों को कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थी. लेकिन अब केवल पीएफ कटौती हो रही है- सुदाम प्रधान, हाथिया
बीड़ी मजदूरों पर सरकार ध्यान दे. ताकि काम करने वाले मजदूर भी अपने बच्चों की बेहत शिक्षा और परिवार चला सके- पवन सरदार, करंजो
बीड़ी मजदूरों का स्वास्थ्य कार्ड बनाकर उन्हें दवाईयां और प्रत्येक सप्ताह स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था कराई जाए- उमेश प्रधान, बानालता
बीड़ी मजदूरों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके. इसके लिए बंद हो रहे बीड़ी श्रमिक स्कूलों को पुन: चालू कर उसमें नामांकन कराया जाए- प्रेम प्रधान, बानालता
बीड़ी श्रमिकों के बच्चों को छात्रवृति सरकार की ओर से दी जाती थी. लेकिन पिछले पांच सालों से छात्रवृति बंद है. उसे चालू किया जाए- राजकुमार तांती, हिंदुसाई
सरकार द्वारा अस्पताल निर्माण कर बीड़ी मजदूरों और उनके परिजनों का स्वास्थ्य जांच कर उचित दवाइयों की व्यवस्था की जाए- दोईतारी प्रधान, जामडीह
पहले बीड़ी कंपनियों में लाखों लोग काम करके रोजगार करते थे. लेकिन कंपनियां बंद होने से लोग पलायन कर रहे हैं. सरकार उस पर अंकुश लगाए- सुज्ञानी प्रधान, पदमपुर
बीड़ी मजदूरों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. इस पर सरकार के पदाधिकारों को ध्यान देकर लाभ पहुंचाना चाहिए- लखन गागराई, मंडलसाई
बीड़ी श्रमिकों के लिए लोदोड़ीह में एक अस्पताल का निर्माण हो रहा था. लेकिन अधूरा है. जिसे शीघ्र निर्माण कराके उसका लाभ पहुंचाया जाए- विदेशी गोप, पदमपुर
बच्चों को छात्रावृति मिलती थी, तो पढ़ाई में राहत पहुंचती थी. लेकिन पिछले कई सालों से छात्रवृति बंद होने से बीड़ी श्रमिकों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है- तिरूपती प्रधान, कुरूलिया
बीड़ी श्रमिकों को आवास, पेंशन समेत सरकार से मिलने वाली सभी सुविधा देनी चाहिए. ताकि मजदूरों के परिवार बेहतर जीवन जी सके- हेमा हामड, इंदकाटा
बीड़ी श्रमिकों की आर्थिक दशा को ऊपर उठाने के लिए सरकार आवास समेत कई योजनाएं चला रही है. लेकिन धरातल में योजनाएं नहीं उतर रही है- कपुर चंद प्रधान, कुरूलिया
बीड़ी मजदूरों का प्रत्येक सप्ताह जांच कर उन्हें दवा मिलनी चाहिए. लेकिन चक्रधरपुर में अस्पताल तक की व्यवस्था नहीं है- विनोद गोप, इंदकाटा
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