कोलकाता : कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर, राज्य में लॉकडाउन के पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य सचिवालय, नबान्न में सर्वदलीय बैठक का आह्वान किया. बैठक में भाजपा, कांग्रेस व माकपा समेत सभी विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का आश्वासन दिया. बैठक में राज्य के लॉकडाउन की जानकारी दी गयी. यह बताया गया कि जनता से कहा गया है कि परिवार में भी एक साथ चार से अधिक सदस्य एकसाथ न बैठें. एक परिवार के एक ही सदस्य को जरूरत का सामान खरीदने के लिए बाहर निकलने की इजाजत होगी.
यह तय किया गया कि दिहाड़ी मजदूरों को प्रति परिवार 1500 रुपये की नगद सहायता तथा प्रति व्यक्ति 12 किलो गेंहू की आपूर्ति फेयर प्राइस शॉप के जरिये की जायेगी. सरकारी विभागों में केवल आपातकालीन विभाग काम करेंगे. उसमें भी 20 फीसदी कर्मचारी ही रोस्टर के आधार पर काम करेंगे. निर्माण कर्मी, ठेका कर्मी, श्रमिक, औद्योगिक श्रमिक चाहें वह सरकारी क्षेत्र में हों या निजी सेक्टर में, उन्हें लॉकडाउन की अवधि का पूर्ण वेतन दिया जायेगा.
आंगनवाड़ी केंद्र बंद रहेंगे लेकिन बच्चों और गर्भवती महिलाओं को घरों में पोषक खाद्यान्न मुहैया कराया जायेगा. अस्पतालों में केवल आपातकालीन परिसेवा चालू रहेगी. सभी प्रकार के निजी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बंद रहेंगे. चाहें वह बस, ट्रेन, कार, कैब या दो-पहिया वाहन हों. अंतरराज्यीय सीमा को बंद कर दिया गया है. केवल आवश्यक परिसेवा वाली सामग्रियों के परिवहन की ही इजाजत है.
निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एपिडेमिक डिजीजेस एक्ट 1897 के आधार पर कार्रवाई की जायेगी. उल्लंघन करने वालों को आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया जायेगा. बैठक में मुख्यमंत्री ने कोरोना जांच किट के अभाव का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास केवल गिने-चुने किट ही हैं. केंद्र सरकार से कहा गया है कि निजी लैब को जांच की इजाजत दी जाये. केंद्र से मंजूरी अभी तक नहीं मिल सकी है. उन्होंने मास्क और सैनिटाइजर के अभाव के संबंध में भी बताया.
माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि किट की समस्या को वह भी केंद्र सरकार के सामने उठा रहे हैं. इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर उन्होंने विशेष जोर देने का अनुरोध किया. उनका कहना था कि उन कर्मियों को सर्वाधिक खतरा है. इसके अलावा श्री चक्रवर्ती ने लॉकडाउन में आइटी क्षेत्र को छूट दिये जाने के फैसले पर सवाल उठाये.
उनका कहना था कि यह क्षेत्र आवश्यक क्षेत्र के तहत नहीं आता. यहां के कर्मचारी घरों से भी काम कर सकते हैं. कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने इलाज या पढ़ाई या फिर इंटरव्यू के लिए बाहर गये राज्य के लोगों की स्थिति पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो बाहर फंस गये हैं. उनके पास पैसे नहीं हैं. उन्हें वापस लौटाये जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. इसके अलावा उन्होंने दिहाड़ी मजदूरों के हित में कदम उठाने की भी मांग की.
बैठक में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार ने मुख्यमंत्री से कहा कि भारत में कोरोना वायरस का तीसरा स्टेज चल रहा है. इसमें अधिक से अधिक सामुदायिक संक्रमण होता है, इसीलिए इसके संक्रमण का फैलाव रोकने के लिए जरूरी है कि सरकार सामुदायिक स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था करें. उन्होंने कहा कि कम आय वाले लोग अधिकतर एक ही बस्ती में रहते हैं. घरों में काम करने वाली महिलाएं भी ज्यादातर घनी बस्तियों में रहती हैं.
ऐसा भी संभव है कि एक ही नल से बस्ती क्षेत्रों में 100 से अधिक लोग पानी भरते हैं.उनमें संक्रमण फैलने का खतरा सबसे ज्यादा है.बाजारों में रुपये का लेन-देन भी तेजी से होता है. वहां से भी संक्रमण फैल सकता है. ऐसे में सामुदायिक जांच की जरूरत है. इसके साथ ही केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार को भी डिजिटल लेनदेन प्रणाली शुरू कर देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर स्थानीय पंचायत और नगरपालिका पालिकाओं तथा नगर निगम को इस संबंध में व्यवस्थाएं करने की हिदायत दें तो इससे लोग लाभान्वित होंगे.
इस बैठक में पार्टी की ओर से दूसरे प्रतिनिधि के तौर पर राज्य सचिव सायंतन बसु भी गये थे. उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया कि वह चार-पांच दिन पहले घाटाल गये थे. वहां बड़ी संख्या में मजदूर रहते हैं. अधिकतर लोग बीमार हैं. उनके बीच जागरूकता की कमी है. ऐसा भी संभव है कि उनमें से कुछ लोग संक्रमित हैं, लेकिन अपनी बीमारी को छिपा रहे हैं. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बारे में मैं जिलाधिकारी से बात करूंगी. कई लोग शर्म से बीमारी के बारे में खुलासा नहीं कर रहे हैं. इन्हें घरों में आइसोलेट्स करने की व्यवस्था की जायेगी.
बैठक में एसयूसीआइ की ओर से राज्य में मेडिकल टास्क फोर्स गठित करने की मांग की गयी. यह भी सुझाव दिया गया कि मौजूदा स्थिति में सेवानिवृत्त चिकित्सकों को काम पर लगाया जाये. मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से ऐसा पहले ही किया जा चुका है और 4500 सेवानिवृत्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी नये तौर पर जुड़े हैं.
भाकपा की ओर से मांग की गयी कि निजी क्षेत्र में प्रायः देखा जाता है कि कुछ दिन काम बंद होने के बाद लोगों की नौकरियां चली जाती हैं. ऐसा न हो, सरकार की ओर से यह सुनिश्चित किया जाये.
आतंक नहीं फैलायें, सबको सतर्क रखें : सुजन
कोलकाता. नबान्न में हुई सर्वदलीय बैठक में वाममोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि इस मुसीबत की घड़ी में सबको साथ रहना होगा. कहीं किसी के लिए आतंक नहीं हो, इसके लिए सबको मिलकर साथ काम करना होगा. सुजन ने कहा कि हम लोग राजनीतिक कार्यक्रम फिलहाल स्थगित रख रहे हैं. लेकिन लोगों का साथ नहीं छोड़ेंगे.
हमारी पार्टी के कार्यकर्ता दो या फिर तीन की संख्या में लोगों के घर जायेंगे और लोगों की समस्या को सुनेंगे. उनकी दिक्कत क्या है और उसको दूर करेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के बारे में कई बात कहनी है. लेकिन यह वक्त किसी की शिकायत करने या फिर लोगों के खिलाफ बात करने का नहीं है. हमें एक दूसरे के साथ रहने का है. हम सुरक्षित रहें और लोगों को सुरक्षित रखें, यही हम चाहते हैं.
ट्रेन सेवा सुबह चार से छह बजे तक चालू रहे : प्रदीप
कोलकाता. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में शामिल होने पहुंचे कांग्रेस के सांसद प्रदीप भट्टाचार्य और विधान सभा में विरोधी दल के नेता अब्दुल्ल मन्नान कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने पहुंचे. इस मौके पर प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि कोरोना एक विश्वव्यापी महामारी का रूप ले रहा है.
पश्चिम बंगाल में लोग सजग हैं. इससे सभी को मिलकर लड़ना होगा. इसका फायदा कोई पार्टी विशेष के लोग नहीं ले, इसका ध्यान रखना होगा. उन्होंने कहा कि चूंकि बाजार से लोग अधिक सामान लेकर अपने घरों में चले गये है. ऐसे में एक वर्ग कालाबाजारी कर रही है. इसके खिलाफ सख्ती से निपटना होगा. प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार पहल करके सुबह चार से छह बजे तक लोकल ट्रेनों काे चलाये, ताकि सब्जियां आ सकें. लोग अपने घरों से निकल कर इसे खरीद लेंगे और फिर शाम को ट्रेनें चलायी जायें, ताकि कोई संकट खड़ा न हो.