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गढ़वा में कागजों पर बनीं पैक्स समितियां, छत्तीसगढ़ से खाद-बीज खरीदने पर मजबूर हैं किसान

सूचना का अधिकार अधिनियम से मिली जानकारी के बाद इन पंचायतों में गठित पैक्स के बारे में जब प्रभात खबर की टीम द्वारा पूरे मामले की पड़ताल की गयी तो पता चला कि रमकंडा पंचायत को छोड़कर किसी भी पंचायत में पैक्स का संचालन नहीं होता है. कागजों पर बनी पैक्स समितियों के सदस्यों को भी इसकी जानकारी नहीं है.

Jharkhand News: गढ़वा के कृषि कार्यालय के अधिकारियों ने रमकंडा प्रखंड की छह पंचायतों में कागज पर ही पैक्स (प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटी) का गठन कर दिया है. इनमें तीन पंचायतों (हरहे, बिराजपुर व रकसी) की पैक्स समिति की अवधि (पांच वर्ष) कागजों पर ही समाप्त हो गयी. करीब दो वर्ष पहले उदयपुर, चेटे व बलिगढ़ पंचायत के लिये कागजों पर गठित पैक्स के कार्यकारिणी सदस्यों को उनके पैक्स में शामिल होने की जानकारी नहीं है. रमकंडा की छह पंचायतों के किसानों को सस्ती दर पर रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, बीज एवं सस्ती दर पर ट्रैक्टर के माध्यम से खेतों की जुताई की सुविधा नहीं मिल पा रही है. किसान यमुना सिंह ने बताया कि वे गोदरमना व छत्तीसगढ़ से खाद-बीज लाने पर मजबूर हैं.

कागजों पर गठित पैक्स समितियां

सूचना का अधिकार अधिनियम से मिली जानकारी के बाद इन पंचायतों में गठित पैक्स के बारे में जब प्रभात खबर द्वारा पड़ताल की गयी तो पता चला कि रमकंडा पंचायत को छोड़कर किसी भी पंचायत में पैक्स का संचालन नहीं होता है. इन पंचायतों में 10 से 12 सदस्यीय लोगों के नाम पर पंचायतों में बिना बैठक किये अधिकारियों ने कागज पर ही पैक्स समिति गठित कर दी. विभाग ने पैक्स के कार्यों व संचालन को लेकर उन्हें किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं करायी. ऐसे में कागजों पर बनायी गयीं पैक्स समितियां निष्क्रिय हो चुकी हैं.

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केस स्टडी-1

कार्यकारिणी समिति के सदस्य को पैक्स गठन की जानकारी नहीं

बलिगढ़ पंचायत की पैक्स समिति में शामिल खिरोधन सिंह ने बताया कि खाद-बीज बेचने वाले समूह में नाम जोड़े जाने के बारे में सुना था, लेकिन इसके कार्य व संचालन को लेकर कभी भी अधिकारियों ने कोई जानकारी उपलब्ध नहीं करायी. चेटे पंचायत की पैक्स समिति के अध्यक्ष एलिजाबेथ डोडराय ने बताया कि उन्हें कहीं से पैक्स समिति की जानकारी मिली, तो उन्होंने गिरजाटोली की ही महिलाओं को जोड़कर समिति का गठन कर दिया, लेकिन इसके संचालन, कार्य एवं फायदों के बारे में जानकारी नहीं है. इसी तरह की स्थिति उदयपुर पंचायत में गठित पैक्स समिति की है.

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केस स्टडी-2

मुखिया को भी पैक्स गठन की जानकारी नहीं

बलिगढ़ पंचायत में पिछले 10 वर्षों से मुखिया रहीं अनीता देवी व उनके पति विनोद प्रसाद ने बताया कि पंचायत स्तरीय पैक्स का गठन कब हुआ, उन्हें इसकी जानकारी नही है. अगर यहां पैक्स का गठन हुआ है तो चुपके-चुपके कागजों पर ही इसकी प्रक्रिया की गयी होगी. उदयपुर पंचायत की तत्कालीन मुखिया सह वर्तमान मुखिया शकुंतला देवी के पति राजकिशोर यादव ने भी इसी तरह ही बता दोहरायी. उन्होंने कहा कि कागज पर ही फर्जी पैक्स का गठन कर दिया गया होगा. पंचायत स्तर पर इस प्रकार के पैक्स गठन की जानकारी उन्हें नहीं है.

पैक्स से किसानों को मिलती हैं इतनी सुविधाएं

जानकारी के अनुसार पैक्स के माध्यम से किसानों को उनकी ही पंचायत में सस्ती दर पर उर्वरक, कीटनाशक व बीज उपलब्ध कराया जाता है. इसे बेचने के एवज में सरकार पैक्सों को मुनाफा देती है. किसानों के खेतों की जुताई के लिये पैक्सों को अनुदान पर ट्रैक्टर उपलब्ध कराती है. इससे किसानों के खेतों की सस्ती दर पर जुताई के साथ ही सस्ती दर पर खाद-बीज उपलब्ध हो जाता है.

रिपोर्ट : मुकेश तिवारी, रमकंडा, गढ़वा

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