रांची : विधानसभा चुनाव के कारण धान खरीद प्रक्रिया में विलंब होने सहित भुगतान में भी विलंब से सरकार को धान बेचने के प्रति किसानों का रुझान कम हो रहा है. यह इससे साफ है कि जितने किसानों को धान अधिप्राप्ति के लिए टैग किया गया था, उनमें से 20 फीसदी किसानों ने ही 15 मार्च तक सरकार को अपना धान बेचा है.
धान अधिप्राप्ति करनेवाली नोडल एजेंसी राज्य खाद्य निगम ने धान बेचने वाले राज्य भर के करीब 1.34 लाख किसानों की सूची बनायी थी. इनमें से सिर्फ 27 हजार ने ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना धान दिया है. इसलिए धान खरीद के कुल लक्ष्य 30 लाख क्विंटल की जगह अब तक करीब 16 लाख क्विंटल धान की ही खरीद हो सकी है.
केंद्र सरकार 31 मार्च तक ही धान क्रय की अनुमति देती है. दरअसल किसानों को उनकी धान की कीमत विलंब से मिलना भी एक बड़ा कारण है, जिससे वह सरकारी धान क्रय केंद्र पर अपना धान बेचने के बजाय खुले बाजार में कम कीमत पर ही धान बेच देते हैं. इससे कम से कम उन्हें तत्काल नकद भुगतान हो जाता है. इस बार रांची व खूंटी सहित अन्य जिलों में धान बेचने वाले किसानों को दो-तीन माह बाद भी भुगतान न होने की खबर है.
लंबी भुगतान प्रक्रिया : सरकार की दो एजेंसिया धान खरीद रही है. राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) तथा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ). इसमें तुलनात्मक रूप से एसएफसी से भुगतान की प्रक्रिया बहुत लंबी है. कुछ शर्त तो एेसी हैं, जिसमें सरकारी लापरवाही किसानों पर भारी पड़ती है. जैसे किसान को भुगतान की प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं हो सकती, जब तक कि धान खरीद केंद्र से किसी मिलर या वेयर हाउस द्वारा धान स्वीकार नहीं कर लिया जाता.
देर से शुरू हुई धान खरीद प्रक्रिया भुगतान प्रक्रिया भी लंबी और जटिल
धान क्रय की स्थिति (15 मार्च तक)
खरीद एजेंसी दो
कुल धान क्रय केंद्र 328
धान कुटने वाले मिलर 58
चावल लेने वाले गोदाम 50
सूचीबद्ध कुल किसान 134946
धान बेचने वाले किसान 27158
धान खरीद का लक्ष्य 30 लाख क्विंटल
धान की हुई खरीद 16 लाख क्विंटल