9 नवंबर को झारखंड की छुटनी देवी पद्मश्री से होंगी सम्मानित, मधु मंसूरी व शशधर आचार्य को मिला सम्मान
वर्ष 2020 के लिए झारखंड के नागपुरी गीतों के रचियता व गायक मधु मंसूरी हंसमुख और छऊ नृत्य गुरु शशाधर आचार्य पद्मश्री से सम्मानित हुए हैं. वहीं, वर्ष 2021 के लिए डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली छुटनी देवी को 9 नवंबर को पद्मश्री सम्मान दिया जायेगा.
Padma Shri Award 2021 (रांची) : वर्ष 2020 और 2021 के लिए भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री झारखंड के 3 हस्तियों को मिल रहा है. इसमें नागपुरी गीतों के रचियता व गायक मधु मंसूरी हंसमुख और छऊ नृत्य के गुरु शशधर आचार्य को वर्ष 2020 के लिए सोमवार को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों यह सम्मान प्राप्त हुआ. वहीं, वर्ष 2021 के लिए डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली छुटनी देवी 9 नवंबर को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हाेंगी. इस तरह से झारखंड में पद्मभूषण, पद्म विभीषण और पद्मश्री अवार्ड पाने वालों की कुल संख्या 216 हो गयी है.
बता दें कि वर्ष 2020 में नागपुरी गायक मधु मंसूरी हंसमुख और छऊ नृत्य के गुरु शशधर आचार्य को पद्मश्री सम्मान मिलना था, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के कारण सम्मान कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था. वर्तमान में कोरोना संक्रमण पर काफी हद तक काबू पाने के बाद पद्म सम्मान देने का कार्यक्रम आयोजित हुआ. इसी कड़ी में 8 नवंबर, 2021 को झारखंड के मधु मंसूरी हंसमुख और गुरु शशाधर आचार्य पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हुए. वहीं, 9 नवंबर, 2021 को छुटनी देवी पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होंगी.
पद्मश्री सम्मान से सम्मानित होने के लिए छुटनी देवी सोमवार की शाम हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंच रही है. इनके साथ उनका पुत्र और पुत्रवधू भी हैं. कभी गांव- घर से डायन कहकर निकाली गयी छुटनी देवी 9 नवंबर को पद्मश्री छुटनी देवी बन जायेंगी. हालांकि, इसकी घोषणा पूर्व में ही हो गयी थी, लेकिन सम्मान 9 नवंबर को मिल रहा है. इस सम्मान के साथ ही 62 वर्षीय छुटनी देवी के नाम के आगे भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ जायेगा.
छुटनी देवी सरायकेला- खरसावां जिला अंतर्गत गम्हरिया प्रखंड के बीरबांस पंचायत स्थित भोलाडीह गांव की रहने वाली है. महज 12 साल की उम्र में उनकी शादी गम्हरिया थाना अंतर्गत सामरम पंचायत (वर्तमान में नवागढ़) निवासी धनंजय महतो (अभी मृत) से हुई थी. वर्ष 1995 में पड़ोसी की बेटी बीमार हो गयी थी. ग्रामीणों को शक हुआ था कि छुटनी ने कोई जादू- टोनाकर उसे बीमार कर दिया है. इसके बाद गांव में पंचायत हुई, जिसमें उसे डायन करार देते हुए लोगों ने घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश की गयी थी.
इस दौरान छुटनी देवी को ग्रामीणों ने प्रताड़ित कर मल-मूत्र तक पिलाया गया था. ग्रामीणों के इस प्रताड़ना से तंग आकर छुटनी देवी मायके चली आयी. इसके बाद से छुटनी देवी डायन कुप्रथा की रोकथाम को लेकर लगातार आवाज उठाती रही. इसके बाद एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) से जुड़कर डायन कुप्रथा के खिलाफ आवाज उठाने लगी. आशा के सौजन्य से बिरबांस में पुनर्वास केंद्र का संचालन कर रही है. छुटनी देवी सरायकेला जिला इकाई की बतौर निदेशक के तौर पर कार्यरत है.
इस संबंध में आशा के सचिव अजय जायसवाल ने कहा कि छुटनी देवी पद्मश्री अवार्ड पाने के लिए सोमवार की शाम दिल्ली रवाना हो रही है. छुटनी देवी के साथ उनके पुत्र और पुत्रवधू भी दिल्ली जा रही है. श्री जायसवाल ने कहा कि छुटनी देवी आशा संस्था से पिछले 18 साल से जुड़ी है. वर्तमान में कोल्हान क्षेत्र में डायन कुप्रथा के खिलाफ लगातार आवाज बुलंद कर रही है. उन्होंने कहा कि डायन-बिसाही का नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित करने वालों को अधिक से अधिक दंड मिले, इसके लिए डायन प्रथा प्रतिषेध अधिनियम 2001 कानून में कुछ बदलाव लाने की लगातार कोशिश की जा रही है.
Posted By : Samir Ranjan.