अलीगढ़ : पाकिस्तान में हिंदू धार्मिक स्थलों को तोड़े जाने की कड़ी निंदा करते हुए दाराशिकोह फाउंडेशन के अध्यक्ष और मानवाधिकार कार्यकर्ता मोहम्मद आमिर राशिद ने एक पत्र यूनेस्को के डायरेक्टर जनरल ऑड्रे अज़ोले को लिखा है. पत्र लिखकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. आमिर राशिद ने बताया कि पाकिस्तानी फौजियों द्वारा पीओके में कॉफी हाउस बनाने के लिए प्राचीनतम शारदा पीठ के तोड़ा जाना काफी पीड़ा दायक और निंदनीय है. पत्र में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार यहां के अल्पसंख्यकों को उनका हक देने में नाकाम हो रही है. धार्मिक स्थलों पर जबरन धर्म परिवर्तन कराना आम बात हो गया है, पाकिस्तान में हाल ही में जम्मू-कश्मीर में भी भारतीय सेना पर कई आतंकी हमले हुए. PoK में 7 दिन में दो मंदिर तोड़े गए. यूनेस्को द्वारा विरासत स्थल माने जाने वाले शारदा पीठ को पाकिस्तानी सेना ने नष्ट कर दिया था. खबर है कि पाकिस्तानी सेना ने शारदा पीठ की चारदीवारी तोड़ दी. शारदा पीठ एक खंडहर हो चुका हिंदू मंदिर और शिक्षा का प्राचीन केंद्र है, जो पाकिस्तान के आज़ाद कश्मीर की नीलम घाटी में स्थित है. 6वीं और 12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच, यह भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्रमुख मंदिर विश्वविद्यालयों में से एक था. सर्वोच्च न्यायालय के संरक्षण आदेश के बावजूद इस मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. मंदिर के पास एक कॉफी हाउस बनाया जा रहा है, जिसका उद्घाटन इसी साल किया जाएगा.
जुलाई 2023 में सिंध के काशमोर में एक हिंदू मंदिर पर रॉकेट लॉन्चर से हमला किया गया था. हमलावरों ने मंदिर और आसपास बसे हिंदू समुदाय के घरों पर भी अंधाधुंध फायरिंग की. इससे पहले कराची में 150 साल पुराने मरी माता मंदिर को तोड़ दिया गया था. जिस वक्त यह मंदिर तोड़ा गया, उस वक्त इलाके में बिजली नहीं थी.
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पाकिस्तान ने कथित तौर पर हिंदू कार्यस्थलों को निशाना बनाया है. सिंध प्रांत में हिंगलाज माता मंदिर (मंदिर) धार्मिक अल्पसंख्यकों पर इस कार्रवाई का शिकार हो गया, थारपारकर जिले के अधिकारियों ने मीठी शहर में विध्वंस को उचित ठहराने के लिए अदालत के आदेश का हवाला दिया. पाकिस्तान में हिंदुओं पर यह अत्याचार कोई नई घटना नहीं है . यहां रहने वाले हिंदुओं को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें लक्षित हिंसा, हत्याएं और उनकी जमीनों पर कब्ज़ा शामिल है. पूरी दुनिया देख रही है. पाकिस्तान में हिंदू देश की आबादी का 4% हिस्सा हैं. समुदाय के साथ बड़े पैमाने पर भेदभाव किया जाता है और अक्सर बुनियादी मानवाधिकारों से इनकार किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों के साथ-साथ मानवता के लिए भी एक झटका लगता है.