अलीगढ़: चाची-भतीजी को जल्द मिलेगा भारतीय नागरिकता, बोलें- पाकिस्तान में होता था उत्पीड़न
पाकिस्तानी चाची-भतीजी को जल्द भारतीय नागरिकता मिलेगी. ये अराजकता के चलते पाकिस्तान छोड़कर यहां आये थे. जिलाधिकारी ने कागजों की जांच कर शासन को संस्तुति भेज दी है.
अलीगढ़ : पाकिस्तानी चाची-भतीजी को जल्द भारतीय नागरिकता मिलेगी. ये अराजकता के चलते पाकिस्तान छोड़कर यहां आये थे. पाकिस्तान से 27 सितंबर 2013 को भारत आईं सिमरन ने जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को बताया कि पाकिस्तान में हिंदू बहन-बेटियों के साथ अत्याचार एवं अराजकता होती है. इन घटनाओं ने इतना भयभीत कर दिया था कि वह पाकिस्तान से सीधे अलीगढ़ में अपने बाबा-दादी के पास आ गईं. पाकिस्तानी सिमरन और उनकी चाची बरजी बाई को जल्द भारतीय नागरिकता मिल सकता है. जिलाधिकारी ने कागजों की जांच कर शासन को संस्तुति भेज दी है. वर्ष 2013 से दोनों यहां पर बिना भारतीय नागरिकता के निवास कर रही हैं.
आधा परिवार रहता है पाकिस्तान में
रमेशलाल ने बताया कि पाकिस्तानी नागरिक होने के नाते वह और उनका परिवार एलटीवी यानि लांग टर्म वीजा के जरिये अलीगढ़ में रह रहा था. रमेशलाल ने बताया कि उन्होंने अपना, पत्नी लाजवंती, पुत्र कैलाश, बेटी पूजा की नागरिकता के लिए वर्ष 2015 में आवेदन किया था. रमेशलाल का एक बेटा हरेशलाल वर्तमान में बलूचिस्तान में ही रह रहा है, जबकि एक अन्य बेटा शंकरलाल एवं बहू वर्जनाबाई वर्ष 2013 में अलीगढ़ आ गए थे. उन्होंने भी नागरिकता के लिए आवेदन किया है.
भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन पाकिस्तान से आकर अलीगढ़ में बरजी बाई उर्फ ज्योति पत्नी शंकर लाल एवं सिमरन कुमारी पुत्री हरेशलाल ने भारतीय नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन कर रखा है. अभी यह आवेदन प्रदेश स्तर पर अटके हुए हैं. इनकी जांच में खामियां मिली हैं. इसको लेकर शासन ने पाकिस्तानी नागरिकों के आवेदन में जो कमियां थीं. उन्हें तत्काल दूर कराते हुए रिपोर्ट मांगी थी. फिलहाल, यह लांग टर्म वीजा पर रह रहे हैं.
सिमरन लांग टर्न बीजा लेकर रह रही है भारत में
एएमयू से बीडीएस की पढ़ाई कर रही सिमरन पहले ही बीजा पर पाकिस्तान से भारत आ गईं. सिमरन ने जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को बताया कि पाकिस्तान में हिंदू बहन-बेटियों के साथ उत्पीड़न हो रहा है. इन घटनाओं ने इतना भयभीत कर दिया था कि वह पाकिस्तान से सीधे अलीगढ़ में अपने बाबा-दादी के पास आ गईं. भारत और पाकिस्तान के माहौल में जमीन आसमान का अंतर है. सिमरन ने बताया कि वह इस समय एएमयू से बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी की पढ़ाई कर रही हैं.
भारतीय नागरिकता के लिए वर्ष 2019 में आवेदन किया था. अभी पाकिस्तान के सिंध प्रांत के जाफराबाद में माता-पिता, दो भाई एवं बुआ रह रही हैं. वह भी भारत आना चाहते हैं. इसके बाद जिलाधिकारी ने सिमरन से कागज पर उर्दू में नाम लिखवाकर उसकी शैक्षिक योग्यता को भी परखा और शाबासी भी दी. शहर में निवास कर रहे पाकिस्तानी नागरिकों ने नागरिकता के लिए आवेदन कर रखा है. इस संबंध में प्रदेश एवं केंद्रीय स्तर से निर्णय होना है. शासन के निर्देश के आधार पर जांच एवं आपत्तियों का निस्तारण कराकर संशोधित जानकारी एवं भारतीय नागरिकता देने की संस्तुति के साथ विस्तृत रिपोर्ट भेजी जा रही है.
भारत व पाकिस्तान में है अंतर
सिमरन के बाबा रमेश लाल ने बताया कि नागरिकता के बारे में जिलाधिकारी से मिले थे. कागजों में कुछ गलती थी. जिसे ठीक करने के लिए आए थे. रमेश लाल ने बताया कि हम बलूचिस्तान के जाफराबाद इलाके में रहते थे. उन्होंने बताया कि पाकिस्तान और भारत में बहुत अंतर है. रमेश लाल बताते हैं कि पाकिस्तान में बहन , भाई और लड़का रह रहा है. वह लोग भी पाकिस्तान छोड़कर भारत आने वाले हैं.
जिलाधिकारी ने नागरिकता के लिए किया संस्तुति
जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि पाकिस्तान के निवासी हिंदू परिवार भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था. लड़की एएमयू में डेंटल सर्जरी की पढ़ाई कर रही है. लड़की और उसकी चाची को भारतीय नागरिकता देने हेतु आवेदन आया था. उसकी संस्तुति सरकार को प्रेषित किया गया है. जिलाधिकारी ने बताया कि परिवार के कुछ लोग पाकिस्तान में है और कुछ लोग हिंदुस्तान में है. परिवार के कुछ सदस्यों को नागरिकता मिल चुकी है. लड़की के माता-पिता पाकिस्तान में ही है. जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि उम्मीद है कि जल्द सिमरन एवं उसकी चाची बरजी बाई की नागरिकता पर निर्णय ले लिया जाएगा.