हरियाणा के झज्जर जिले की रहने वाली 17 वर्षीय पलक गूलिया ने कोविड-19 महामारी के बाद ही निशानेबाजी को गंभीरता से लेना शुरू किया. इससे पहले वह केवल मनोरंजन और पढ़ाई की थकान मिटाने के लिए निशानेबाजी किया करती थीं.
शुक्रवार को व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के बाद पलक ने कहा कि मैं तब गुड़गांव के सेंट जेवियर स्कूल में पढ़ रही थी जब मुझे निशानेबाजी खेल के बारे में पता चला. इसके बाद में सुबह के सत्र में अभ्यास करने लगी. अगले डेढ़ साल तक जब भी मुझे समय मिलता था मैं निशानेबाजी कर लेती थी.
पलक ने कहा कि मैं 2019 तक मनोरंजन के लिए ही निशानेबाजी करती थी. मैंने कोविड-19 महामारी बाद ही निशानेबाजी को गंभीरता से लेना शुरू किया. पलक के पिता जोगिंदर गूलिया व्यवसायी हैं और उन्होंने अपनी बेटी को यह खेल अपनाने दिया लेकिन केवल पढ़ाई से विश्राम के लिए.
पलक ने कहा कि हमारे परिवार में कभी किसी ने भी निशानेबाजी नहीं की थी. मैं पहली हूं जिसने निशानेबाजी को अपनाया. मैं पढ़ाई पर अधिक ध्यान देती थी. निशानेबाजी को अपनाने से पहले मैं एथलेटिक्स और तैराकी जैसे खेल भी खेलती थी. निशानेबाजी शुरू करने के बाद भी मैं अन्य खेलों से जुड़ी रही.
उन्होंने कहा कि मैं खाली समय में ही निशानेबाजी किया करती थी. मैं पढ़ाई से विश्राम के समय निशानेबाजी करती थी. मेरे पिताजी ने कहा कि अगर मैं विश्राम के दौरान कुछ अच्छा करती हूं तो इससे मुझे मदद मिलेगी.
पलक ने कहा कि इस तरह से निशानेबाजी खेल से हमारा परिचय हुआ. हमारे स्कूल में शूटिंग रेंज है और मैंने सुबह के सत्र में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया.
पलक ने जब इस खेल को गंभीरता से लेना शुरू किया तो फिर वह नियमित तौर पर अभ्यास करने लगी और उन्होंने खेल की जरूरत के अनुसार अपनी दिनचर्या भी बदल दी. उनका अगला लक्ष्य अक्टूबर में होने वाली एशियाई चैंपियनशिप और उसके बाद पेरिस ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करना है.
उन्होंने कहा कि हमने ओलंपिक के लिए पिछले दो तीन महीने से तैयारी शुरू कर दी है. भारत की निशानेबाजी टीम ने इस बार एशियन गेम्स में कमाल का प्रदर्शन किया है और शुक्रवार तक 18 मेडल जीत लिए हैं. इनमें छह गोल्ड मेडल हैं.