झारखंड : पलामू टाइगर रिजर्व का लौटेगा पुराना गौरव, जंगली जानवरों की होगी भरमार, जानें कैसे
मध्य प्रदेश के कान्हा व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की तर्ज पर पलामू टाइगर रिजर्व में प्रबंधन होगा. इसको लेकर पदाधिकारियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है. इसके तहत पीटीआर के पुराने गौरव को लौटाने की कोशिश होगी, ताकि यहां बहुतायत में बाघ समेत अन्य जंगली जानवरों की भरमार हो सके.
बेतला (लातेहार), संतोष कुमार : झारखंड का इकलौता व्याघ्र परियोजना पलामू टाइगर रिजर्व को देश के अन्य उत्कृष्ट टाइगर रिजर्व के समकक्ष लाया जायेगा. इसके पुराने गौरव को लौटाया जाएगा और पुनः पलामू टाइगर रिजर्व बाघ सहित अन्य जंगली जंतुओं से लबरेज किया जाएगा. वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के निर्देश व एनटीसीए के गाइडलाइन के तहत इसकी कवायद शुरू कर दी गयी है.
मध्य प्रदेश के कान्हा व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का दौरा
पहले फेज में पीटीआर प्रबंधन के वरीय पदाधिकारी के अलावे कई कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का दौरा किया. इतना ही नहीं, वहां पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण भी लिया.आठ से 10 सितंबर तक प्रशिक्षण के दौरान पलामू टाइगर रिजर्व में बेहतर प्रबंधन पद्धति को कैसे विकसित किया जाए इस पर फोकस किया गया. सभी पदाधिकारी को इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया गया और उन्हें इसमें दक्ष बनाने का प्रयास किया गया.
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पीटीआर के खोये गौरव को लौटाने की कोशिश
जानकारी देते हुए पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश कांत जेना ने बताया कि पलामू टाइगर रिजर्व के खोये हुए गौरव को लौटाने में पीटीआर प्रबंधन कोई कसर नहीं छोड़ेगा. देश के अन्य टाइगर रिजर्व के तुलना में पलामू टाइगर रिजर्व भी उनके समानांतर स्थान हासिल कर सके इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है .प्रशिक्षण के दौरान सॉफ्ट रिलीज सेंटर व ब्रीडिंग सेंटर प्रोटोकॉल पर विशेष फोकस किया गया.
बाघ सहित मांसाहारी जानवरों का होगा ठहराव
मालूम हो कि बूढ़ा पहाड़ सहित अन्य स्थलों पर सॉफ्ट रिलीज सेंटर का निर्माण कराया जाना है. इसके तहत बेतला नेशनल पार्क के चीतल को बूढ़ा पहाड़ के सॉफ्ट रिलीज सेंटर में रखा जाएगा, ताकि बाघ सहित अन्य मांसाहारी जंतुओं को आहार मिल सके. विभागीय पदाधिकारी का यह मानना है कि यदि चारा व पानी की व्यवस्था कर दी जाए, तो शाकाहारी जंतुओं का ठहराव होता है और जब शाकाहारी जंतुओं का ठहराव होगा, तो बाघ सहित मांसाहारी जंतुओं का निश्चित रूप से उस निश्चित क्षेत्र में ठहराव होने लगेगा.
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बोमा कैपचरिंग तकनीक पर फोकस
प्रशिक्षण के दौरान बोमा कैपचरिंग तकनीक पर भी विशेष रूप से जानकारी दी गयी इसके तहत यह बताया गया कि वी आकार जैसी बाड़ के माध्यम से जानवरों का पीछा करके उन्हें एक बाड़े में कैसे सुरक्षित रूप से कैद किया जा सकता है. ताकि उन्हें सॉफ्ट रिलीज सेंटर में स्वतंत्र रूप से छोड़ा जा सके. कान्हा व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षण में शामिल होने वाले में मुख्य वन संरक्षक सह क्षेत्र निदेशक कुमार आशुतोष ,साउथ डिविजन के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष कुमार, नॉर्थ डिविजन के डिप्टी डायरेक्टर कुमार प्रजेश कांत जेना, बेतला रेंजर शंकर पासवान, गारू रेंजर उमेश दुबे सहित बड़ी संख्या में वनपाल अन्य कर्मी शामिल हुए प्रशिक्षण के बाद पदाधिकारी में काफी उत्साह है.
ग्रामीणों ने अजगर को पड़कर वन विभाग को सौंपा
सोमवार को एक अजगर ने बेतला गांव में कुछ मुर्गों काे अपना शिकार बनाया. शोर मचाने पर जुटे ग्रामीणों ने अजगर को पकड़ कर एक थैले में बंद कर दिया. इसके बाद उसे वन विभाग के पदाधिकारी को हवाले कर दिया. वन विभाग ने उक्त अजगर को बेतला नेशनल पार्क के जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया है.