मवेशियों का चारागाह बना एक करोड़ की लागत से तैयार बिहार का पंचायत भवन, अराजक तत्वों का जमता है डेरा
धोरैया प्रखंड के काठबनगांव बीरबलपुर में पंचायत सरकार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेकार पड़ी है. करीब एक करोड़ की लागत से सन्हौला-जगदीशपुर मुख्य मार्ग पर लाड़न नदी के किनारे सात साल पहले बना काठबनगांव बीरबलपुर पंचायत सरकार भवन अब गांव के मवेशियों का चरागाह बन गया है.
प्रदीप कुमार: धोरैया प्रखंड के काठबनगांव बीरबलपुर में पंचायत सरकार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेकार पड़ी है. करीब एक करोड़ की लागत से सन्हौला-जगदीशपुर मुख्य मार्ग पर लाड़न नदी के किनारे सात साल पहले बना काठबनगांव बीरबलपुर पंचायत सरकार भवन अब हाथी का दांत बनकर रह गया है. रख-रखाव के अभाव में भवन जर्जर हो रहा है. परिसर गांव के मवेशियों का चरागाह बन गया है.
पंचायत सचिवालय पशुओं को बांधने, जुआड़ी व नशाखोरों का अड्डा बन गया है. यहां कभी कभार बैठकें हुई हैं फिर कभी भी मुखिया या पंचायत सचिव नहीं बैठे. ग्रामीणों के अनुसार, अराजक तत्वों का जरूर डेरा जमा रहता है. तमाम लोग फुर्सत के क्षणों में पंचायत भवन में ही जमावड़ा लगाकर ताश खेलते रहते हैं.
प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काठबनगांव बीरबलपुर पंचायत की आबादी करीब 16 हजार है. यहां के लोगों को सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार की ओर से संचालित योजना एवं पंचायत सरकार को बढ़ावा देने के लिए 2014 में यहां आलीशान पंचायत सरकार भवन का निर्माण किया गया.
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मालूम हो कि सरकार के द्वारा पंचायत के लोगों की सुविधा के लिए मिनी सचिवालय के तर्ज पर पंचायत सरकार भवन बनाया जा रहा है, जिसमें अनुमानित लागत एक से डेढ़ करोड़ के बीच हो रही है. लेकिन यहां इसका उपयोग नहीं होने के कारण आज यह भवन नकारा साबित हो रहा है. साथ ही जर्जर भी हो रहा है. पंचायत के मो. हारूण रशीद, मुशाहिद आलम, राजेंद्र रजक, देवनारायण साव, रिजवान, नसीरुद्दीन आदि ने बताया कि पंचायत सरकार भवन रहने के बावजूद ग्रामीणों का सपना टुट गया है.
सरकार के द्वारा पंचायत सरकार भवन में ही पीएम ग्रामीण आवास कार्य, दाखिल खारिज, जाति, आवासीय, राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि का कार्य किया जाना है. लेकिन यहां कार्य नहीं होने से ग्रामीण प्रखंड मुख्यालय का चक्कर लगाते हैं. इसके संचालित होने से सरकार की समस्त योजनाओं का सीधा लाभ ग्रामीणों को मिलता. लेकिन इनके अस्तित्व में नहीं आने से यह पंचायत सरकार भवन बेकार पड़ा हुआ है, ग्रामीणों को 15 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय पहुंचकर काम करना होता है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है.
पंचायत की मुखिया बीबी मैमूना खातून ने बताया कि सरकार भवन रहने के बावजूद पंचायत का कार्य यहां नहीं हो पा रहा है. भवन में बिजली नहीं है, साथ ही पानी की टंकी भी टूट गयी है. हालांकि यहां बिजली लाने का प्रयास किया जा रहा है. कई पोल गाड़े भी गये हैं.
बीडीओ अमर कुमार मिश्रा ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है. जांच कराकर त्वरित कार्रवाई की जायेगी. पंचायत सरकार भवन के सभी कार्यों का ससमय निबटारा किया जायेगा, ताकि आमजनों को सुविधा मिल सके.इस पूरे मामले पर बीपीआरओ निलेश कुमार ने कहा कि 15 अगस्त को सभी पंचायतों के चिह्नित स्थानों पर आरटीपीएस काउंटर आरंभ करा दिया जायेगा.
POSTED BY: Thakur Shaktilochan