धनबाद के बुजुर्ग खेदन घांसी को पेशंन के बाद अब आंबेडकर आवास दिलाने के लिए पंसस ने की पहल

खेदन घांसी के चचेरे पोते रिखी घांसी (पिता मोहन घांसी) की विकलांग पेंशन पिछले करीब तीन साल से बंद है. उसके एक हाथ की सभी पांच अंगुली नहीं है. इसके आधार पर उनकी विकलांग पेंशन स्वीकृत हुई थी और कई वर्षों तक पेंशन प्राप्त भी हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | May 30, 2023 1:09 PM
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धनबाद, दीपक सवाल : बगदा की पंचायत समिति सदस्य मौ भट्टाचार्य ने सोमवार को कसमार बीडीओ विजय कुमार एवं गोमिया विधायक डॉ लंबोदर महतो को पत्र लिखकर बगदा निवासी खेदन घांसी को आंबेडकर आवास उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. भट्टाचार्य ने पत्र में लिखा है कि प्रभात खबर में यह मामला उजागर हुआ है कि खेदन घांसी को सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर न केवल उनकी पेंशन रोक दी गयी है, बल्कि वह अत्यंत जर्जर आवास में भी रहने को विवश हैं.

श्रीमती भट्टाचार्य ने बताया कि उन्होंने घांसी के घर में जाकर मामले की जानकारी ली. इस दौरान यह पता चला कि उन्हें करीब 40 साल पहले एक कमरे का इंदिरा आवास मिला था, जो वर्तमान में अत्यंत ही जर्जर हो चुका है. उसकी छत के पलस्तर पूरी तरह से उखड़ गए हैं और बारिश में उससे पानी टपकने लगता है. इससे पूरा कमरा पानी से भर जाता है. पंसस ने लिखा है कि वह कमरा इतना जर्जर हो चुका है कि उसके कभी भी ध्वस्त होकर गिरने और अप्रिय घटना की संभावना बनी हुई है. इसलिए उन्हें अविलंब आंबेडकर आवास उपलब्ध कराया जाए, ताकि किसी तरह की जान-माल की क्षति को रोका जा सके. इधर, बगदा मुखिया गीता देवी ने बताया कि पीएम आवास सूची में नाम नहीं रहने के कारण खेदन घांसी को पीएम आवास तत्काल मिलने में कठिनाई है. वैकल्पिक तौर पर उन्हें आंबेडकर आवास मिल सकता है. इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति जरूरी है.

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पोते की विकलांग पेंशन है तीन साल से बंद

खेदन घांसी के चचेरे पोते रिखी घांसी (पिता मोहन घांसी) की विकलांग पेंशन पिछले करीब तीन साल से बंद है. उसके एक हाथ की सभी पांच अंगुली नहीं है. इसके आधार पर उनकी विकलांग पेंशन स्वीकृत हुई थी और कई वर्षों तक पेंशन प्राप्त भी हुई. इस बीच तीन साल पहले अचानक उनकी पेंशन बंद हो गई. रिखी ने बताया कि काफी पूछताछ के बाद भी उनकी पेंशन बंद होने की वजह का पता नहीं चल पाया है. उन्होंने कहा कि उसके एक हाथ की पांचों अंगुली नहीं रहने के कारण उसे कामकाज में काफी दिक्कत होती है. पेंशन की राशि से उसे घर-परिवार चलाने में काफी मदद मिलती थी. लेकिन पेंशन बंद हो जाने से कई तरह की दिक्कतें होती है.

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