पंडित बिरजू महाराज की अस्थियां गंगा में होगी विसर्जित, परिजन निकालेंगे अस्थि कलश यात्रा
पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को वाराणसी के गंगा में विसर्जित की जाएंगी. 21 जनवरी की देर रात परिजन उनकी अस्थियों को लेकर बनारस आएंगे. अस्सी घाट पर विसर्जन के विधि-विधान पूर्ण करने के बाद गंगा में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.
Varanasi News: कथक सम्राट पद्मविभूषण पं. बिरजू महाराज की अस्थियां शनिवार को संस्कृति की नगरी वाराणसी के गंगा में विसर्जित की जाएंगी. दिल्ली से अस्थियों का कलश लेकर पंडित बिरजू महाराज के पुत्र पं. जयकिशन महाराज और शिष्या शाश्वती सेन लखनऊ के लिए रवाना हो गए हैं. वहां से देर रात वे वाराणसी पहुंचेंगे.
परिजन निकालेंगे अस्थि कलश यात्रा
जिसके बाद शनिवार को सिगरा के नटराज संगीत अकादमी परिसर में अस्थियां अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए रखी जाएंगी. यहां काशी के कलाकार और उनके प्रशंसकों की ओर से पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अस्थि कलश खुले वाहन पर रखकर अस्सी घाट ले जाया जाएगा. अस्थि कलश यात्रा 22 जनवरी को पूर्वाह्न 9 बजे आरंभ होगी. बाद में विधि-विधान पूर्ण करने के बाद गंगा की मध्य धारा में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.
प्रशंसक कर सकते हैं दर्शन
वहीं आज सुबह से लेकर शाम तक पं. बिरजू महाराज का अस्थि कलश लखनऊ स्थित उनके पैतृक आवास बिंदादीन की ड्योढ़ी पर रखा जाएगा. दिन भर लखनऊ में उनके प्रशंसक और चाहने वाले अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. सूर्यास्त के बाद परिजन अस्थि कलश लेकर काशी के लिए रवाना हो जाएंगे.
ये है पूरा कार्यक्रम
वाराणसी के सिगरा के कस्तूरबा नगर कॉलोनी स्थित नटराज संगीत अकादमी परिसर में रखी जाएंगी. काशी के कलाकार और उनके प्रशंसकों की ओर से पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद अस्थि कलश खुले वाहन पर रखकर अस्सी घाट ले जाया जाएगा. अस्थि कलश यात्रा 22 जनवरी को पूर्वाह्न 9 बजे आरंभ होगी. अस्सी घाट पहुंचने के बाद वैदिक रीति से अस्थि कलश का पूजन किया जाएगा और फिर गंगा की मध्य धारा में अस्थियां पं. बिरजू महाराज के परिजनों द्वारा किया जाएगा.
संगीता सिंहा ने बताया कि हम सब चाहते थे कि पहले महाराज जी का अस्थि कलश कबीरचौरा मोहल्ले में रखा जाए, लेकिन उस क्षेत्र में सड़क खोदाई का काम जारी होने के कारण दिक्कतों को देखते हुए अस्थि कलश के अंतिम दर्शन नटराज संगीत अकादमी में कराने का निश्चय किया गया.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी