Gopbandhu Das Birth Day: ओड़िया भाषा और संस्कृति को सशक्त बनाने के लिए हमेशा तत्पर रहे पंडित गोपबंधु दास

Gopbandhu Das Birth Anniversary: पं गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे. स्वतंत्रता-संग्राम में अनेक बार जेल गये. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए पं गोपबंधु वर्ष 1922-24 के दौरान देश के ऐतिहासिक हजारीबाग जेल में कैद थे.

By Mithilesh Jha | August 22, 2024 3:56 PM

Gopbandhu Das Birth Anniversary: उत्कलमणि गोपबंधु दास ओड़िशा में नवजागरण के अग्रदूत, चिंतक, साहित्यकार, पत्रकार, भाषा-शिक्षाविद, राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक थे. उत्कलमणी गोपबंधु दास का नाम हर ओड़िया भाषी बड़ी श्रद्धा व आदर के साथ लेता है. बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी गोपबंधु दास की आज (9 अक्टूबर) को जयंती है. 9 अक्टूबर 1877 को ओड़िशा के पुरी जिला में जन्मे पं गोपबंधु दास अपने जीवन काल में हमेशा ओड़िया भाषा, साहित्य व संस्कृति को सशक्त बनाने के साथ-साथ असहायों की सेवा में तत्पर रहे.

गांधी और नेताजी के प्रिय थे पंडित गोपबंधु दास

गांधीजी के प्रिय पात्र और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विश्वस्त थे पं गोपबंधु दास. पं गोपबंधु दास भाषा प्रेमी, समाजसेवी, लेखक के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे. स्वतंत्रता-संग्राम में अनेक बार जेल गये. स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए पं गोपबंधु वर्ष 1922-24 के दौरान देश के ऐतिहासिक हजारीबाग जेल में कैद थे. ओड़िशा में उनका असर यह रहा कि उनके कालखंड को ‘सत्यवादी युग’ के नाम से जाना जाता है.

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अकाल उन्मूलन के लिए उठायी आवाज

उनकी आत्मकथा ‘बंदिर आत्मकथा’ ओड़िया के क्लासिक कृतियों में शामिल है. साझा प्रशासन के तहत बंगाल, मध्य प्रांत, मद्रास और बिहार-ओड़िशा के ओड़िया भाषी इलाकों को एकीकृत करने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. ओड़िशा में बाढ़ और अकाल के उन्मूलन के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए उन्होंने सशक्त आवाज उठायी. उत्पाद शुल्क से मुक्त नमक के निर्माण के लिए ओड़िया लोगों के अधिकार की बहाली की पैरोकारी की.

1920 में सिंहभूम आये थे गोपबंधु दास

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ओड़िया भाषा के प्रति लोगों को जानगरूकता करने एवं ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ लोगों को एकजुट करने के लिए वर्ष 1920 में पं गोपबंधु दास सिंहभूम के विभिन्न क्षेत्रों पहुंचे थे. यहां चक्रधरपुर, केरा, खरसावां, सरायकेला, जैतगढ़, बहरागोड़ा समेत विभिन्न क्षेत्रों में जाकर लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट किया था. इस दौरान चक्रधरपुर में ओड़िया विद्यालय की स्थापना भी की थी.

इन जगहों पर स्थापित हैं पंडित गोपबंधु दास की प्रतिमा

ओड़िशा के साथ-साथ खरसावां, सरायकेला, चक्रधरपुर, घाटशिला, मुसाबनी, बहरागोड़ा समेत कई स्थानों पर पंडित जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. सिंहभूम के विभिन्न स्थानों पर पंडित गोपबंधु दास द्वारा स्थापित ओड़िया स्कूल अब भी चल रहे हैं. भले पंडित जी अब इस दुनिया में नहीं हैं, परंतु उन्होंने राष्ट्र भक्ति, भाषा प्रेम व समाजसेवा की जो विरासत छोड़ी थी, उसे लंबे समय तक याद किया जाता रहेगा.

सरायकेला-खरसावां में गोपबंधु जयंती पर श्रद्धांजलि

ओड़िया सामाजिक संस्था उत्कल सम्मीलनी व आदर्श सेवा संघ के संयुक्त तत्वावधान में खरसावां के गोपबंधु चौक पर उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास की आज जयंती मनायी जायेगी. उत्कल सम्मीलनी के जिला परिदर्शक सुशील षाडंगी ने बताया कि कार्यक्रम में ओड़िया समुदाय के लोग पं गोपबंधु दास को श्रद्धांजलि अर्पित देंगे. दूसरी ओर, सरायकेला के गोपबंधु चौक पर भी ओड़िया सामाजिक संगठनों की ओर से कार्यक्रम आयोजित कर पंडित जी को श्रद्धांजलि दी जायेगी. इसकी तैयारी भी कर ली गयी है.

पं गोपबुधु दास की जीवनी पर लेख, भाषण व चित्रांकन

गोपबंधु जयंती को लेकर खरसावां के सरस्वती शिशु मंदिर परिसर में पं गोपबंधु दास की जीवनी पर लेख, भाषण व चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न विद्यालयों के करीब 50 से अधिक छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिता के विजेता प्रतिभागियों को आज कार्यक्रम के दौरान पुरस्कृत किया जायेगा.

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