मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव पर टिप्पणी करना पप्पू यादव और अरुण कुमार को भारी पड़ सकता है. जहानाबाद व्यवहार न्यायालय ने पप्पू यादव एवं अरुण कुमार पर संज्ञान लिया है.दोनों पूर्व सांसदों को 11 मार्च को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
बता दें कि वर्ष 2015 में अरुण कुमार ने नीतीश कुमार पर सीना तोड़ देने का बयान दिया था. वहीं पप्पू यादव, लालू प्रसाद के खिलाफ बयानबाजी की थी. इसी के खिलाफ शिक्षाविद चंद्रिका प्रसाद यादव ने व्यवहार न्यायालय में परिवाद दायर किया था. लंबी अवधि के बाद कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए दोनों लोग को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है, जबकि दोनों राजनेताओं ने इस मुकदमे के खिलाफ हाइकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था. लेकिन हाइकोर्ट ने दोनों के अनुरोध को ठुकरा दिया.
कोर्ट के निर्देश के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म है. इस मुकदमे में कोर्ट द्वारा चार लोगों की गवाही ली गयी थी. सभी लोगों ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कोर्ट से अपील की थी कि इन पर कानूनी संवत कार्रवाई की जाये. उसी के आधार पर कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
शिक्षाविद चंद्रिका प्रसाद यादव ने कहा जिस तरह राजनेता अनाप-शनाप बोलते हैं अगर कोर्ट द्वारा नेताओं को दंडित किया जाये तो बोली पर लगाम लगायी जा सकती है. उन्होंने कहा कि मैंने परिवारवाद इसलिए दायर किया था कि राजनेता किसी के खिलाफ न बोल सके और राजनीति जीवन में इस घटना के बाद लोग सीख लेंगे.
Published By: Thakur Shaktilochan