West Bengal Teachers Protest: कोलकाता : पश्चिम बंगाल के पारा शिक्षकों ने चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक ओर 70 दिन से शिक्षा विभाग के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन चल रहा है, तो दूसरी ओर जगह-जगह पर मंत्रियों का विरोध किया जा रहा है.
मंगलवार को तृणमूल सुप्रीमो एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए बंगाल के पारा शिक्षकों ने गंदगी तक की परवाह नहीं की. सीएम आवास के पास स्थित आदि गंगा में पैठकर पारा शिक्षकों ने प्रदर्शन किया. मुख्यमंत्री ने इनकी बात तो नहीं सुनी, अलबत्ता पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार जरूर कर लिया.
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पारा टीचर्स के इस अनोखे प्रदर्शन को मदरसा के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ-साथ शिक्षा मित्रों का भी समर्थन मिला. जैसे ही पारा टीचर्स के इस अभिनव आंदोलन की सूचना पुलिस को मिली, कोलकाता के पुलिस कमिश्नर सोमेन मित्र खुद घटनास्थल पर पहुंचे. बताया जा रहा है कि पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में ले लिया है.
अपनी मांगों के बारे में मुख्यमंत्री को बताने के लिए ये शिक्षक आदिगंगा में कूदे थे. कालीघाट मंदिर और ममता बनर्जी के आवास के पास से होकर गुजरने वाली यह आदिगंगा एक नाला है, जो बेहद गंदा हो चुका है. आंदोलनकारी शिक्षकों ने अपनी सेहत की परवाह किये बगैर प्रदर्शन का यह रास्ता चुना.
दुर्गंध वाले नाले में खड़े होकर हाथों में पोस्टर लेकर विरोध जताते रहे. पुलिस ने यहां से 8 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इसके पहले शिक्षक ऐक्य मुक्त मंच के तत्वावधान में रानी रासमणि रोड पर रविवार को राज्य के कॉन्ट्रैक्चुअल, एसएसके (शिशु शिक्षा केंद्र), एमएसके (माध्यमिक शिक्षा केंद्र), पारा टीचर्स, वोकेशनल टीचर्स सहित 13 संगठनों के सदस्यों ने शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के सामने अपना गुस्सा दिखाया था.
मंगलवार को इसी मंच के आठ शिक्षक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से सीधे मिलने के लिए पहुंचे. ये लोग सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आवास के ठीक बायीं तरफ स्थित आदिगंगा (गंदे पानी का नाला) में कूद गये. यह खाल मुख्यमंत्री आवास के बायीं तरफ और अलीपुर सेंट्रल जेल की दीवार से सटी है.
बदबूदार पानी में पोस्टर के साथ प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों का कहना था कि वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन आज तक किसी ने उनके बारे में नहीं सोचा. उनकी समस्या का निदान नहीं किया. सीएम से मिलकर अपनी बात कहने का यही एक आखिरी विकल्प उनके पास बचा था. इसलिए वे खाल में कूद गये.
इससे पहले कई बार कोशिश की, लेकिन बीच में ही उनका आंदोलन रोक दिया गया. उनको जो वेतन मिल रहा है, उससे उनका परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. बाध्य होकर जान जोखिम में डालकर उनको यह तरीका अपनाना पड़ा है. ज्ञात हो कि लंबे समय से पारा शिक्षक समान काम के लिए समान वेतन की मांग पर आंदोलन कर रहे हैं.
Posted By : Mithilesh Jha