सालखन मुर्मू बोले- पारसनाथ पर्वत पर आदिवासियों का हक, पूरे देश में होगा आंदोलन
सालखन मुर्मू ने कहा कि हिंदुओं के लिए अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, ईसाईयों के लिए रोम है व मुसलमान के लिए मक्का-मदीना, उसी प्रकार संताल के आदिवासियों के लिए पारसनाथ पर्वत है
पारसनाथ पर्वत पर हक जैन धर्म से पहले आदिवासियों का है. ये बातें सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने कही. वह सोमवार को को-ऑपरेटिव कॉलोनी में पत्रकारों से बात कर रहे थे. कहा कि आदिवासियों के लिए पारसनाथ तीर्थस्थल है.
जैसे हिंदुओं के लिए अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है, ईसाईयों के लिए रोम है व मुसलमान के लिए मक्का-मदीना, उसी प्रकार संताल के आदिवासियों के लिए पारसनाथ पर्वत है. उनके मंत्र की शुरुआत ही मरांगबुरु से होती है. राज्य सरकार ने पारसनाथ पर्वत को जैन समाज के लिए तीर्थ स्थल घोषित किया है, लेकिन मरांगबुरु पारसनाथ आदिवासियों का सबसे बड़ा ईश्वरीय स्थान है.
इसे बचाने के लिए राज्य भर के आदिवासी एकजुट होंगे और पूरे देश में आंदोलन किया जायेगा. 17 जनवरी को पांच प्रदेशों के लगभग 50 जिलों में धरना प्रदर्शन के माध्यम से राष्ट्रपति को जिले के डीएम व डीसी के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जायेगा. मौके पर कुशवाहा राकेश कुमार महतो, सुमित्रा मुर्मू, विदेशी महतो, सहदेव महतो, भैरव महतो, ठाकुर राम महतो आदि मौजूद थे.
श्री मुर्मू ने कहा कि कुरमी महतो किसी भी तरह से आदिवासी नहीं हैं. यह भी कहा कि कुशवाहा समाज और आदिवासी समाज आज की परिस्थिति में सभी अधिकार के लिए उपेक्षित है.
मुख्यमंत्री अपनी गलती सुधार लें : सिकंदर
मरांग बुरू सावंता सुसार बेसी के जिला सचिव और पारसनाथ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक सिकंदर हेंब्रम ने कहा कि महाजुटान को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी गलती सुधार लें. उन्होंने पिछले दिनों अपनी घोषणा में पारसनाथ पर्वत को जैनियों के 20 तीर्थंकरों की मोक्ष स्थल तो बताया, लेकिन मरांग बुरू का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया. यदि समय दिया गया तो मुख्यमंत्री के गिरिडीह आगमन पर संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलेगा और मांग करेगा कि जो चूक हुई है उसे अब भी सुधार लें.