पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी (Former Education Minister Partha Chatterjee) की न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद गुरुवार को उन्हें अलीपुर अदालत स्थित स्पेशल सीबीआइ कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया. हालांकि, कोर्ट लॉकअप में लाने के बाद ही चटर्जी ने दावा किया उनके पैरों में काफी सूजन है. फोले पड़ गये हैं. ऐसे में वह दो तल्ले पर स्थित अदालत के कक्ष में सीढ़ियों से चढ़कर जाने में सक्षम नहीं हैं. इसके बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता के जरिये अदालत से आवेदन किया कि वह दो तल्ले पर मौजूद अदालत कक्ष में हाजिर होने में असमर्थ हैं, ऐसे में वर्चुअल माध्यम के जरिये सुनवाई में उनकी पेशी हो. अदालत ने उनके आवेदन को मंजूर कर लिया.
वर्चुअल पेशी के दौरान अदालत में चटर्जी ने अपनी शारीरिक अस्वस्थता का हवाला देकर कहा कि समय के साथ उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है. उनके पैरों में काफी सूजन है. दोनों पैर फूल गये हैं. उनसे चला नहीं जा रहा है. इसके बाद ही पूर्व मंत्री ने अदालत के समक्ष आवेदन किया कि अस्पताल में नहीं, वह जेल में ही अपने लिए फिजियोथैरेपी की व्यवस्था करायी जाये. साथ ही उनके किडनी की चिकित्सा करायी जाये. उनके आवेदन पर अदालत में न्यायाधीश की ओर से कहा गया कि जेल के नियमों के अनुसार, जितना संभव होगा, व्यवस्था करायी जायेगी. अदालत में सुनवाी के दौरान पार्थ की ओर से जमानत का आवेदन नहीं किया गया.
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हालांकि, उन्होंने यह जरूर दावा किया कि वह प्रभावशाली नहीं हैं. साथ ही उन्होंने अपने मामले को लेकर जल्द फैसला सुनाये जाने की अपील की. सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पूर्व मंत्री चटर्जी की न्यायिक हिरासत की अवधि बढाये जाने का फैसला लिया. अदालत ने चटर्जी को सात दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में रखे जाने का निर्देश दिया है. कोर्ट लॉकअप से प्रेसिडेंसी संशोधनागार ले जाने के दौरान पत्रकारों ने जब उनसे सवाल पूछा कि शिक्षक नियुक्ति घोटाले के ही आरोपी सुजय कृष्ण भद्र और एक अन्य मामले में गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक एसएसकेएम अस्पताल में चिकित्साधीन हैं, ऐसे में उन्होंने अस्पताल में भर्ती को लेकर क्यों नहीं आवेदन किया ? इस सवाल पर पार्थ ने कहा कि वह मामले को लेकर जल्द फैसला चाहते हैं. इसके बाद यह भी कहा कि वह प्रभावशाली नहीं हैं.