कोलकाता में नुकसान के चलते कई निजी बसें सड़कों से नदारद, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ी

कोलकाता : ईंधन के बढ़ते दामों और कोविड-19 के कारण कम यात्रियों को बिठाने की पाबंदी से हुए नुकसान के चलते कोलकाता में बड़ी संख्या में निजी बसें सड़कों से नदारद हैं. इसके कारण यात्रियों को सोमवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजी बसों से जुड़े संगठन किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2020 2:57 PM

कोलकाता : ईंधन के बढ़ते दामों और कोविड-19 के कारण कम यात्रियों को बिठाने की पाबंदी से हुए नुकसान के चलते कोलकाता में बड़ी संख्या में निजी बसें सड़कों से नदारद हैं. इसके कारण यात्रियों को सोमवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजी बसों से जुड़े संगठन किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.

यात्रियों ने महानगर और उसके उपनगरों में कम निजी बसों के परिचालन के कारण पिछले सप्ताह की तुलना में अपने गंतव्य तक पहुंचने में देरी की शिकायत की है. 8 जून को अनलॉक-1 शुरू होने के बाद से ही सार्वजनिक परिवहन के अभाव के कारण यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

आठ जून को अधिकतर सरकारी तथा निजी कार्यालय और एवं प्रतिष्ठान फिर से खोल दिये गये थे. शहर और जिलों में निजी बस ऑपरेटरों के सबसे बड़े संघों में से एक बस सिंडिकेट्स संयुक्त परिषद ने कहा कि वर्तमान किराया व्यवस्था व्यवहार्य नहीं है.

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संघ के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा, ‘ईंधन के ऊंचे दामों और यात्रियों की संख्या सीमित रखने के सरकार के निर्देशों ने कुल मिलाकर सेवाओं को चरमरा दिया है. टिकटों की इतनी बिक्री भी नहीं हो रही कि ईंधन का खर्च निकल जाये, दूसरे खर्चों की बात तो छोड़ ही दीजिये.’

ईंधन के दामों में केवल तीन सप्ताह के अंदर सोमवार को 22वीं बार वृद्धि हुई है. अखिल बंगाल बस मिनी बस समन्वय समिति के महासचिव राहुल चटर्जी के अनुसार राज्य में लगभग 27 हजार निजी बसें हैं. अधिकारियों ने कहा है कि बीते सप्ताह से लगभग 25 प्रतिशत बसें चल रही हैं.

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हालांकि, राज्य के परिवहन उपक्रम वेस्ट बंगाल ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (डब्ल्यूबीटीसी) के प्रबंध निदेशक राजनवीर सिंह कपूर का कहना है कि बसें पूरी संख्या में चल रही हैं. सरकारी बसें इतनी नहीं हैं कि वह सड़कों का बोझ कम कर सके. बंगाल में सार्वजनिक वाहन का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा है.

Posted By : Mithilesh Jha

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