इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पासपोर्ट आवेदन निरस्त मामले में दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी पासपोर्ट आवेदन कर्ता के आवेदन को ऐसे ही निरस्त नहीं किया जा सकता. आवेदन को निरस्त करने के लिए पासपोर्ट की धारा 1967 के तहत कुछ प्रावधान किए गए हैं.
आवेदनकर्ता यदि इन नियमों के तहत आवेदन करता है तो उसके आवेदन को स्वीकार किया जाना चाहिए. इस आदेश को न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की बेंच ने यह आदेश प्रमोद कुमार राजभर व दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
कोर्ट ने कहा की यदि किसी मामले में आवेदन करता आरोपी रहा है और कोर्ट के माध्यम से बरी कर दिया गया है तो उसके आवेदन पर निर्णय लिया जाना चाहिए. आवेदनकर्ता का आवेदन सिर्फ इस आधार पर निरस्त नहीं किया जा सकता कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य ने अपील दायर की है.
याची के खिलाफ पॉस्को एक्ट समेत विभिन्न धाराओं में बलिया के पकड़ी थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. ट्रायल कोर्ट ने आरोप सिद्ध न होने के चलते उसे बरी कर दिया. याची के खिलाफ अब राज्य ने अपील दायर कर दी है. हाईकोर्ट ने कहा कि अपील लंबित होने से उसके आदेवन को निरस्त नहीं किया जा सकता है.
याची पासपोर्ट पाने का हकदार है. क्योंकि, वह पासपोर्ट एक्ट-1967 की धारा छह में दी गई किसी शर्त में नहीं आ रहा है। हाईकोर्ट ने पासपोर्ट अथॉरिटी को निर्देश दिया कि वह याची के आवेदन पर विचार करते हुए तीन महीने में पासपोर्ट प्रदान करे.
रिपोर्ट : एसके इलाहाबादी