पतरातू (रामगढ़), अजय तिवारी: किसी भी क्षेत्र के विकास की परिभाषा वहां के आर्थिक-सामाजिक स्तर से मापी जाती है. पतरातू डैम में पर्यटन विकास को लेकर सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर पतरातू लेक रिसॉर्ट का निर्माण कराया गया है. इसके माध्यम से क्षेत्र के लोगों की आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ, वहीं पतरातू लेक रिसॉर्ट के संचालन की जिम्मेवारी झारखंड पर्यटन विभाग द्वारा झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन को दी गयी है. इसके तहत दो होटल व रेस्टोरेंट का संचालन, पार्किंग एरिया का संचालन, चिल्ड्रन पार्क एवं बोट क्लब के संचालन की जिम्मेवारी जेटीडीसी को दी गई है. तीन महीने से पतरातू डैम नाव घाट जाने का रास्ता बंद है. इससे नाविकों के समक्ष बेरोजगारी की स्थिति आ गयी है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
बीते नौ अप्रैल को नाव चलाने को लेकर नाविकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद पतरातू लेक रिसॉर्ट चिल्ड्रन पार्क से होकर नाव घाट जाने वाले सभी गेटों को जेटीडीसी प्रबंधन के आदेश पर बंद कर दिया गया. मजबूरन यहां आने वाले पर्यटक चिल्ड्रन पार्क के ग्रिल को लांघकर नाव घाट तक जा रहे हैं. इसके कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है.
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पंजीकृत हैं नाव समितियां
पतरातू डैम में वर्षों से नाव चला रहे नाविक अलग-अलग समिति बनाकर पंजीकृत हैं. इन नाविकों को झारखंड पर्यटन विभाग द्वारा वोट ऑपरेटिंग एवं लाइफ सेविंग का प्रशिक्षण भी दिया गया है, ताकि पतरातू डैम आने वाले पर्यटकों को पूरी तरह से सुरक्षित नौका विहार कराया जा सके.
हक अधिकार के लिए दर-दर भटक रहे नाविक
जहां एक ओर राज्य की सरकार स्थानीय लोगों के रोजगार मुहैया कराने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर पतरातू डैम से जीविकोपार्जन करने वाले नाविकों को सरकारी उपक्रम द्वारा शोषण किया जा रहा है. विस्थापित नाविक संघ के सचिव प्रयाग कुमार ने बताया कि पतरातू डैम में नाव चलाकर जीविकोपार्जन कर रहे नाविक बीते कई महीनों से न्याय की गुहार लेकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं. नाव चलाकर रोज कमाने खाने वाले नाविक अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज में डूबते जा रहे हैं.
गेट नहीं खुलने से पर्यटक परेशान
24 जून को अंचल प्रशासन द्वारा नौका विहार की अनुमति मिलने के बावजूद गेट को नहीं खोला जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. गेट नहीं खुलने के कारण पर्यटक नौका विहार अस्थल तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कुछ पर्यटक ग्रिल के गेट को फांद कर आते हैं जिससे गिरने की आशंका है.
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डैम में मोटर बोट चलाने की नहीं है अनुमति
पतरातू डैम का मालिकाना हक आज भी पीटीपीएस शेष परिसंपत्ति के पास है. शेष परिसंपत्ति के प्रशासक एसके पांडा ने बताया कि पतरातू डैम में सरकारी अथवा प्राइवेट किसी ने भी मोटर बोट चलाने की विभागीय अनुमति नहीं ली है. दूसरी तरफ बगैर अनुमति जेटीडीसी प्रबंधन डीजल व पेट्रोल से चलने वाले मोटर बोट व क्रूज डैम में धड़ल्ले से चला रहा है. स्थानीय लोगों द्वारा भी पतरातू डैम में मोटर बोट चलाया जा रहा है. जिसके कारण लगातार पेयजल के रूप में प्रयुक्त पतरातू डैम का पानी प्रदूषित हो रहा है. डैम का बांध भी काफी पुराना हो चुका है. रोजी रोजगार को लेकर प्रदूषण रहित लकड़ी वाला नाव का संचालन उचित था. इन सभी के खिलाफ जल्द ही विभागीय कार्रवाई की जाएगी. इन सब बिंदुओं को लेकर ऊर्जा विभाग को सूचना दी गई है.
किसी के पास नहीं है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एनओसी
पतरातू डैम में मोटर बोट व क्रूज़ का संचालन किया जा रहा है. जिससे डैम के जल में प्रदूषण का खतरा बढ़ने का अंदेशा बना हुआ है. लोगों के अनुसार मोटर बोट का संचालन नदियों व समुंदरों में किया जाता है. पतरातू डैम में मोटर बोट संचालन के लिए जल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति लेना आवश्यक होता है. यहां जितनी भी कमेटियां समेत जेटीडीसी के द्वारा मोटर बोट का संचालन किया जा रहा है, किसी के पास विभाग का एनओसी नहीं लिया गया है.