सिर्फ घुमावदार घाटी और डैम ही नहीं है पतरातू का आकर्षण, इस मंदिर में पूरी होती है हर मनोकामना
रांची से 50 किमी की दूरी पर स्थित है पतरातू डैम. जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. खासकर के डैम पहुंचने से पहले जो घाटी है वो पर्यटकों को सबसे अधिक रोमांचित करती है.
रांची से 50 किमी की दूरी पर स्थित है पतरातू डैम. जिसकी खूबसूरती देखते ही बनती है. खासकर के डैम पहुंचने से पहले जो घाटी है वो पर्यटकों को सबसे अधिक रोमांचित करती है. लेकिन क्या आपको पता है डैम से सटे पंचवहिनी मंदिर भी खूब प्रसिद्ध है, जहां श्रद्घालुओं में हमेशा लगती है. जब भी पर्यटक यहां आते हैं तो इस मंदिर में माथा जरूर टेकते हैं.
क्यों है प्रसिद्ध
सन 1965 में इस मंदिर की स्थापना हुई. तब से लेकर आज तक दिनों दिन इस मंदिर के प्रति लोगों की अस्था बढ़ती ही जा रही है. यही नहीं यहां हर साल सैकड़ों जोड़ों का विवाह भी होता है. इससे मंदिर की ख्याति और बढ़ गयी है. मान्यता है कि मां के दरबार में जोड़ियां बनती है. यहां के पुजारियों की मानें तो अब तक इस मंदिर में हजारों शादियां हो चुकी हैं. पीछे पतरातू डैम का विहंगम दृश्य तो सामने डै का भव्य फाटक, जिससे कल-कल बहते जल की धार संगीत पैदा करती है. यही नहीं, फोरलेन के ठीक बगल में होने के कारण श्रद्धालुओं को यहां पहुंचने में काफी सहूलियत होती है.
रघुवर सरकार ने फिल्म सिटी के लिए किया था प्रस्ताव
तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पतरातू को फिल्म सिटी के लिए प्रस्ताव पारित किया था. उस समय तब के मुख्य सचिव ने इसके लिए इलाके का मुआयना भी किया था. हालांकि अब इस क्षेत्र को काफी विकसित किया जा चुका है.
प्रवासी पक्षियां बढ़ाते हैं डैम की खूबसूरती
नवंबर से लेकर मार्च तक प्रवासी पक्षी मंडराते रहते हैं. इन्हीं में से एक है साइबेरियन पक्षी. जो डैंम की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं. इन प्रवासी पक्षियों की अठखेलियां देख पर्यटक रोमांचित होते हैं. नये साल में पिकनिक मनाने के लिए यहां पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ती है. पर्यटन विभाग की तरफ से डैम की सैर करने के लिए बोटिंग की भी व्यवस्था की गयी है. जिसे स्थानीय नाविक सजाकर रखते हैं. यह डैम हर भरे जंगलों से घिरा हुआ है.