Paush Purnima 2024: कब है पौष पूर्णिमा ? जानें किस दिन करें व्रत और स्नान
Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा का दिन कई धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों का भी समय है. इस दिन, हिंदू धर्म के अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान देते हैं और पूजा करते हैं. वे देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं.
Paush Purnima 2024: पौष पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस दिन, हिंदू धर्म के अनुयायी देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं. देवी शाकंभरी को अन्नपूर्णा देवी भी कहा जाता है, क्योंकि वे समस्त सृष्टि को अन्न प्रदान करती हैं. पौष पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसी दिन देवी शाकंभरी का जन्म हुआ था.
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पौष पूर्णिमा का दिन कई धार्मिक अनुष्ठानों और समारोहों का भी समय है. इस दिन, हिंदू धर्म के अनुयायी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दान देते हैं और पूजा करते हैं. वे देवी शाकंभरी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं.
पौष पूर्णिमा के दिन किए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण कार्यों में शामिल हैं
पवित्र नदियों में स्नान करना:
पौष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है.
दान करना:
पौष पूर्णिमा पर दान करना भी बहुत शुभ माना जाता है. आप गरीबों, जरूरतमंदों और मंदिरों को दान दे सकते हैं.
पूजा करना:
पौष पूर्णिमा पर देवी शाकंभरी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है. आप मंदिर जाकर देवी शाकंभरी की पूजा कर सकते हैं या घर पर भी पूजा कर सकते हैं.
पौष पूर्णिमा तिथि एवं मुहूर्त
तारीख: गुरुवार, 25 जनवरी, 2024
तिथि: पौष शुक्ल पक्ष पूर्णिमा
मुहूर्त: सुबह 5:26 से सुबह 6:20 तक
पौष पूर्णिमा की पूजा विधि
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पौष पूर्णिमा के दिन, सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. फिर, एक स्वच्छ स्थान पर देवी शाकंभरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. प्रतिमा या तस्वीर के सामने एक थाली में चावल, फूल, मिठाई और अन्य प्रसाद रखें. फिर, देवी शाकंभरी का ध्यान करें और उन्हें प्रार्थना करें.
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प्रार्थना में, देवी शाकंभरी से अन्न, धन, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मांगें. आप देवी शाकंभरी से अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने के लिए भी प्रार्थना कर सकते हैं.
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प्रार्थना के बाद, देवी शाकंभरी को प्रसाद अर्पित करें. फिर, प्रसाद को सभी उपस्थित लोगों में बांट दें.
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पौष पूर्णिमा की कथा
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पौष पूर्णिमा की कथा बहुत ही रोचक है. एक समय था, जब देवताओं और असुरों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. इस युद्ध में देवता हार रहे थे. देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी.
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भगवान विष्णु ने देवी शाकंभरी को प्रकट किया. देवी शाकंभरी ने देवताओं को अन्न प्रदान किया. अन्न प्राप्त करके, देवताओं ने असुरों को पराजित किया.
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इसलिए, पौष पूर्णिमा को देवी शाकंभरी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्र
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847