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पौष पुत्रदा एकादशी कब है? जानें तारीख, शुभ मुहूर्त- पूजा विधि और व्रत पारण का सही समय

Paush Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी साल में दो बार पड़ती है. पहली पौष माह में और दूसरी श्रावण मास में आती है. दोनों ही संतान प्राप्ति के लिए काफी जरूरी एकादशी मानी जाती है.

Paush Putrada Ekadashi 2024: पौष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है, इसलिए इसे पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. पौष मास की पुत्रदा एकादशी 21 जनवरी दिन रविवार को रखा जाएगा. धार्मिक मान्यता है कि कि इस दिन श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के कष्टों से निजात मिल जाती है, इसके साथ ही हजारों यज्ञ करने के बराबर फल की प्राप्ति होती है.

पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

पौष मास के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ 20 जनवरी 2024 को शाम 06 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी. वहीं एकादशी तिथि की समाप्ति 21 जनवरी 2024 को रात 07 बजकर 26 मिनट पर होगी. पौष पुत्रदा एकादशी व्रत 21 जनवरी 2024 दिन रविवार को रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पारण 22 जनवरी 2024 को सुबह 07 बजकर 14 मिनट से सुबह 09 बजकर 21 मिनट तक किया जाएगा.

पौष पुत्रदा एकादशी पर बना ब्रह्म योग

पौष मास की पुत्रदा एकादशी के दिन ब्रह्म योग बन रहा है. यह योग सुबह 7 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 26 मिनट तक है, इस मुहूर्त में दान पुण्य करने का विशेष महत्व है.

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

  • पौष पुत्रदा एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है.

  • पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले भक्तों को व्रत से पूर्व दशमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए.

  • एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान का ध्यान करें.

  • फिर गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए.

  • इसके बाद संध्या काल में दीपदान कर फलाहार कर सकते हैं.

  • व्रत के अगले दिन द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करना चाहिये.

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संतान की कामना के लिए क्या करें उपासना

  • एकादशी तिथि को पति-पत्नी दोनों संयुक्त रूप से भगवान श्री कृष्ण की उपासना करें.

  • इसके बाद संतान गोपाल मंत्र का जाप करें.

  • मंत्र जाप के बाद पति-पत्नी प्रसाद ग्रहण करें.

  • गरीबों को श्रद्धानुसार दक्षिणा दें और उन्हें भोजन कराएं.

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