पूर्वी सिंहभूम : डुमरिया प्रखंड के 90 गांव के लोग सीएचसी पर निर्भर, पर खुद का हाल बेहाल, कैसे होगा इलाज
पूर्वी सिंहभूम के डुमरिया प्रखंड के 90 गांवों की 72 हजार आबादी की स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर है. लेकिन, इस केंद्र का हाल बेहाल है. यहां संसाधनों की भारी कमी है. कहा जाए तो सीएचसी खुद बीमार है.
Jharkhand News: पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत डुमरिया प्रखंड की 10 पंचायतों के 90 गांव की करीब 72 हजार आबादी के लिए इलाज का एकमात्र सहारा डुमरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) है. प्रखंड के मरीजों के लिए यहां जो व्यवस्था है, वह पर्याप्त नहीं है. इन दिनों वायरल फीवर से आमजन परेशान हैं. जानकारी के अनुसार, पिछले सोमवार से शनिवार तक डुमरिया सीएचसी में 323 मरीजों का इलाज हुआ. जिसमें अधिकतर वायरल फीवर के मरीज थे. डुमरिया सीएससी का भवन जर्जर होने के कारण पूर्व डीसी विजया जाधव के निर्देश पर सीएचसी को पारुलिया स्थित पुराने प्रखंड कार्यालय में अस्थाई रूप से स्थानांतरित किया गया है. लेकिन कमरों में भी बारिश में पानी टपकता है. यहां भी संसाधनों की भारी कमी है. सीएचसी में तीस बेड होने चाहिए, सिर्फ तीन से काम चल रहा है.
प्रसव केंद्र में छह के बदले मात्र दो एएनएम
यहां ए ग्रेड की एक भी एएनएम नहीं है. इसी स्थिति में प्रसव कराया जाता है. छह एनएएम के बदले मात्र दो से काम चलाया जा रहा है. उपायुक्त द्वारा यहां सप्ताह में एक दिन गायनोकॉलोजिस्ट भेजने की बात कही गयी थी, लेकिन आजतक यह सुविधा डुमरिया सीएचसी को नहीं मिली. डुमरिया सीएचसी पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था. लगभग 20-25 साल पहले इसे सीएचसी में परिणत किया गया. लेकिन, सीएचसी की आधारभूत संरचना मुहैया नहीं करायी गयी. यहां व्यवस्थित ओटी नहीं है. एक्स-रे की व्यवस्था नहीं है. सामानों को रखने का जगह नहीं है.
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एक गायनोकॉलोजिस्ट व एक एमडी की जरूरत
गौरतलब हो कि यहां चिकित्सकों के सात पद स्वीकृत हैं. जिसमें प्रभारी डाॅ शायबा सोरेन व दंत चिकित्सक डाॅ सुषमा हांसदा ही दो सरकारी चिकित्सक पदस्थापित हैं. सीएचसी में एक गायनोकॉलोजिस्ट, एक एमडी होने चाहिए, जो नहीं हैं. राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दो चिकित्सक डाॅ विनय भूषण तिवारी व सुमित साहा कार्यरत हैं. एक चिकित्सक सुजीत झा प्रतिनियुक्त हैं. आयुष चिकित्सक के रूप में डाॅ कल्याण महतो व डाॅ इरफान उल्लाह के साथ एक दंत चिकित्सक पदस्थापित हैं. डुमरिया सीएचसी के अंदर 18 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं. जिसको एएनएम द्वारा ही संचालित किया जाता है. बाकुलचंदा गांव में एक स्वास्थ्य केंद्र कई सालों से बनकर तैयार है. लेकिन वह बंद रहने से खंडहर में तब्दील हो रहा है.
भालुकपातड़ा मौजा में बन रहा 30 बेड का अस्पताल
डुमरिया के भालुकपातड़ा में तीस बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य भवन का निर्माण कार्य लगभग नौ करोड़ की लागत से हो रहा है. जिसका शिलान्यास पांच मार्च को सांसद व विधायक ने संयुक्त रूप से किया था. अब निर्माण कार्य जारी है. जो काफी धीमी गति से चल रहा है. कार्य की रफ्तार से अनुमान लगाया जा सकता है कि समय सीमा में निर्माण कार्य पूरा होना मुश्किल है.
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मुसाबनी में वायरल मरीजों की संख्या बढ़ी
दूसरी ओर, मुसाबनी प्रखंड में बरसात के मौसम में वायरल बुखार और मलेरिया पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हो गयी है. मुसाबनी सीएचसी में प्रतिदिन वायरल बुखार और मलेरिया से पीड़ित मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, ओपीडी में हर दिन 70 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं. इसमें 50 वायरल बुखार, मलेरिया और सर्दी-खांसी के मरीज हैं. मुसाबनी सीएचसी में 40 बेड हैं. लगभग आधा दर्जन वायरल बुखार और मलेरिया पीड़ितों का इलाज सीएचसी में चल रहा है. सीएचसी में वायरल बुखार की दवा है. वहीं, बच्चों के लिए एंटीबायोटिक दवा नहीं है. इससे बच्चों के इलाज में दिक्कत होती है. सीएचसी में डेंगू जांच की किट नहीं होने से जांच नहीं हो पा रही है.
सीएचसी में चिकित्सकों की कमी
सीएचसी में चिकित्सकों के सात स्वीकृत पद हैं. इसमें मात्र दो डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र जादूगोड़ा के डॉ सुंदरलाल मार्डी को सीएचसी का प्रभारी बनाया गया है. डॉ ऊषा अग्रवाल, डॉ सोमा डे के अलावे दंत चिकित्सक डॉ अंजली और आयुष चिकित्सक डॉ विवेक कुमार, डॉ ज्योति कुमारी हैं. चिकित्सकों की कमी के साथ एक्स-रे तकनीशियन, एएनएम समेत कई चिकित्सा कर्मियों की कमी है. चिकित्सकों की कमी से सीएचसी में इलाज में दिक्कत हो रही है.
बरसोल में 10 डाॅक्टरों ने 546 मरीजों की स्वास्थ्य जांच की
इधर, बरसोल के आड़ंग में नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन हुआ. शिविर का आयोजन भारत सरकार के प्रमुख उद्यम राइट्स लिमिटेड के सहयोग से प्रमुख स्वयं सेवी संस्था सिटिजन्स फाउंडेशन के द्वारा किया गया. शिविर में 10 डाॅक्टरों ने 546 मरीजों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें चिकित्सीय सलाह दी. डाॅक्टरों के परामर्श पर मरीजों को निःशुल्क दवाइयां दी गयीं. शिविर में रक्त जांच, रक्तचाप जांच, ईसीजी व नेत्र जांच की निःशुल्क सुविधा दी गयी. मोतियाबिंद से ग्रस्त 42 नेत्र रोगियों का आयुष्मान भारत योजना के तहत पूर्णिमा नेत्रालय में निःशुल्क ऑपरेशन कराया जायेगा. बता दें कि बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह राइट्स लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशक डाॅ दिनेशानंद गोस्वामी के प्रयास से इस शिविर का आयोजन हुआ.
चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराना ही उद्देश्य : डाॅ गोस्वामी
इस संबंध में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोग विभिन्न बीमारियों से परेशान हैं. छोटी- छोटी बीमारियों का इलाज कराने को जमशेदपुर, पश्चिम बंगाल व ओडिशा के अस्पतालों व चिकित्सकों पर निर्भर हैं. स्वास्थ्य शिविर का उद्देश्य ही ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराना है.
इन डॉक्टर्स ने निभायी अहम भूमिका
इस मौके पर गणेश मुंडा, सुमन कल्याण मंडल, रंजीत वाला, श्रीवत्स घोष, राजीव महापात्र, राजकुमार कर, राखोहरी मुखी, कमलकांत सिंह, गौतम पाल, प्रदुत्त भुई, कमला प्रसाद भुई, स्वपन भुई, मनोज पाल, रामहरि कांड, उत्पल पैड़ा, आशीष महापात्र,अर्णव भूईं, बाबलु महाली, शिवायम सिंह, मृणाल कांति भूइं, मानिक दास, हेमकांत भुयां, लिटू आईच, रूपेश सिंह, गोपाल नायक, महेंद्र राणा, अमल बेरा, सपन भुई, नवीन महतो, सुमन दिक्षित, यादव पात्र आदि उपस्थित थे. वहीं, इस स्वास्थ्य जांच शिविर में डाॅ टीके महंती, डाॅ पीसी हेम्ब्रम, डाॅ किरण सिंह, डाॅ शिवम, डाॅ विदेश गांगुली, डाॅ नीरज मिश्रा, डाॅ प्रकाश राय, डाॅ शांतनु महापात्रा, डाॅ दर्प मिश्रा आदि.