Jharkhand news: आम तौर पर सड़क और पुल-पुलिया विकास का पैमाना होता है. माना जाता है कि सड़क और नदियों में पुल बनने से गांव का विकास होता है लेकिन कई बार कुछ लोगों के रोजगार भी छिन लेता है. रनिया प्रखंड के झोराटोली निवासी झोरा समुदाय के ग्रामीण वर्षों से गांव के पास स्थित कारो नदी में लोगों को नौका से पार कराते थे. यही उनका मुख्य रोजगार था. नदी पार कराने के एवज में बाहर के लोगों से पैसे लेते थे वहीं आसपास के गांवों से वे अनाज लिया करते थे. लगभग 15 वर्ष पहले कारो नदी में पुल बन गया. जिसके बाद उनका यह पेशा पूरी तरह से बंद हो गया.
रोजगार नहीं होने से पलायन कर रहे झोरा समुदाय के लोग
पुल बनने के बाद अब किसी को नौका से नदी पार करने की आवश्यकता नहीं रही. जिसके कारण झोरा समुदाय के लोग पूरी तरह से बेरोजगार हो गये. कई लोग पलायन कर गये. वहीं, कई लोग कृषि पर निर्भर हो गये हैं. कुछ लोग मछली पकड़ते हैं. गांव में 35 से अधिक परिवार निवास करते हैं.
नाव का सहारा छिन गया
गांव की रूनी झोराईन ने बताया कि नदी पार कराने वाली सभी परिवारों के बीच अलग-अलग गांव का बंटवारा होता था. वे साल में दो बार उन गांवों में जाकर अनाज लाते थे. सालिग झोरा ने बताया कि उनका पारंपरिक पेशा अब बंद हो गया. नदी में नाव भी बह गये. अब खेती के सहारे जीविका चला रहे हैं. सबरन झोरा ने कहा कि कई लोग अब मजदूरी कर अपना जीविकोपार्जन करते हैं. पुल बनने से उनका रोजी-रोटी छिन गया. अशोक झोरा ने कहा कि कई लोग काम की तलाश में बाहर जाते हैं.
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गांव में पानी की समस्या
झोराटोली में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव में मात्र एक ही चापाकल है वह भी लंबे समय से खराब है. गांव में स्थित एक मात्र एक ही कुंआ से पानी लाने को मजबूर हैं. इसके बावजूद इन ग्रामीणों का सुध लेने की फुर्सत किसी को नहीं है.
रिपोर्ट : चंदन कुमार/भूषण कांसी, खूंटी.