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धनबाद: डांडी-चुआं का पानी पीने को मजबूर हैं नक्सल प्रभावित कुटमटांड़ के लोग, बुनियादी सुविधाओं की कमी

कुटमटांड़ गांव में लगभग 25-30 आदिवासी घर है, जहां की आबादी 200 से 250 के बीच है. गांव में पंचायत फंड से एक सोलर चालित पानी टंकी है जो बरसों से खराब पड़ा हुआ है. वर्तमान में इसका उपयोग नहीं होता है. गांव के बाहर मैदान पर एकमात्र सरकारी चापाकल है जो पिछले चार-पांच साल पहले से ही खराब है.

धनबाद जिला अंतर्गत पूर्वी टुंडी प्रखंड के उकमा पंचायत में नक्सल प्रभावित आदिवासी गांव कुटमटांड़ जो पहाड़ के तलहटी में बसा है. इस गांव में सड़क और पेयजल की भारी किल्लत है. गांव के अंदर पीसीसी पथ तो बना है, लेकिन गांव में प्रवेश करने के लिए कोई मुख्य सड़क नहीं है. इसलिए गांव तक कोई वाहन आता-जाता नहीं है.

बीमार होने पर खाट में मरीजों को मुख्य सड़क तक ले जाते हैं ग्रामीण

गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए या फिर महिलाओं को प्रसव पीड़ा हो जाए तो खाट में टांग कर डेढ़ किलोमीटर दूर लिंक रोड पर वाहन पकड़ने के लिए जाना पड़ता है.

पेयजल के लिए सुबह 3 बजे से ही लाइन लगते हैं गांव के लोग

इससे भी कठिन समस्या पेयजल के लिए है कुटमटांड़ गांव में लगभग 25-30 आदिवासी घर है, जहां की आबादी 200 से 250 के बीच है. गांव में पंचायत फंड से एक सोलर चालित पानी टंकी है जो बरसों से खराब पड़ा हुआ है. वर्तमान में इसका उपयोग नहीं होता है. गांव के बाहर मैदान पर एकमात्र सरकारी चापाकल है जो पिछले चार-पांच साल पहले से ही खराब है. यहां के लोग आधा किलोमीटर दूर तालाब के किनारे स्थित एक डांडी-चुआ से पानी छानकर पीते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि भरी गर्मी के समय जब डांडी-चुआ भी लगभग सूख जाता है तो गांव के लोग सुबह 3 बजे डांडी-चुआ से रिसता हुआ पानी निकालने के लिए लाइन लगा देते हैं. यहां के लोगों की यह मजबूरी आदत बन चुकी है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मुखिया को बोरिंग के लिए कहा गया मगर कोई सुनता ही नहीं है.

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क्या कहते हैं ग्रामीण

कुटमटांड़ गांव के चांद मुर्मू, लवशंकर मुर्मू, वकील हेम्ब्रम ,बानेश्वर मुर्मू, गुपीन हेम्ब्रम का कहना है कि गांव में बिजली तो है मगर सड़क और पेयजल की भारी समस्या है. चुनाव के समय ही कुछ जनप्रतिनिधि इस गांव में आते हैं उसके बाद यहां आना ही भूल जाते हैं.

मुखिया का क्या है कहना

मुखिया सुनीता हेम्ब्रम ने बताया, गांव में पंचायत फंड से एक चापाकल बोरिंग करवाया गया था, लेकिन पानी नहीं निकला. ग्राम सभा में कुटमटांड़ में डीप बोरिंग करवाने का लक्ष्य रखा गया है. सड़क बनवाने में वन विभाग की जमीन सामने आ रही है इसलिए गांव तक पहुंचने के लिए अभी तक सड़क नहीं बन पाया है.

जिप सदस्य का क्या है कहना

जिप सदस्य जेबा मरांडी ने कहा, इस गांव में पानी की भारी समस्या है. आज के समय में डांडी-चुआ का पानी पीना दुर्भाग्य की बात है. पेयजल के साथ साथ सड़क सुविधा मुहैया कराने का प्रयास जिला परिषद फंड से करवाने का प्रयास किया जायेगा.

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