भाजपा नेता व अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने सोमवार को कलकत्ता हाइकोर्ट में एक याचिका दायर कर राज्य के सरकारी स्कूल-कॉलेज में ग्रुप-सी गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में कथित संलिप्तता को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद अपरूपा पोद्दार के खिलाफ सीबीआइ जांच की मांग की है. हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजशेखर मंथा की सिंगल जज बेंच ने याचिका को स्वीकार कर लिया. मामले में सुनवाई संभवत: 26 अप्रैल को होगी. याचिका में अधिवक्ता तरुण ज्योति तिवारी ने हुगली जिले के आरामबाग से लोकसभा सदस्य अपरूपा पोद्दार पर अपने लेटरहेड में राजकीय स्कूलों में ग्रुप-सी गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति में सिफारिश करने का आरोप लगाया है.
याचिका दाखिल करने से पहले श्री तिवारी ने घोटाले में पोद्दार की कथित संलिप्तता को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) में शिकायत दर्ज करायी थी. उन्होंने यह भी दावा किया कि सीबीआइ को लिखे पत्र में उन्होंने कुछ घटनाओं का उल्लेख किया है, जो ग्रुप सी गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में तृणमूल सांसद की संलिप्तता साबित करती हैं. 21 अप्रैल को अपरूपा पोद्दार ने तरुण ज्योति तिवारी और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को ‘अनावश्यक’ रूप से करोड़ों के शिक्षक भर्ती घोटाले में उनका नाम घसीटने के लिए कानूनी नोटिस दिया.
नोटिस में अपरूपा पोद्दार ने शुभेंदु अधिकारी और तरुण ज्योति तिवारी पर भर्ती घोटाले में उनका नाम घसीट कर सोशल मीडिया में उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है. उन्होंने दोनों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी भी दी है, अगर वे अपनी सोशल मीडिया टिप्पणियों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते हैं. इससे पहले उन्होंने हुगली जिले के श्रीरामपुर थाने में दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी.
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व्यवसायी व भाजपा नेता राजू झा की हत्या के मामले में पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी है. यह याचिका सोमवार को कोयला व्यापारी नरेंद्र खगड़ा ने हाइकोर्ट में दायर की. गौरतलब है कि राजू झा हत्याकांड में राज्य सीआइडी ने अभिजीत मंडल नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. अपनी याचिका में नरेंद्र खगड़ा ने दावा किया है कि उसके ड्राइवर अभिजीत मंडल का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मंडल को गिरफ्तार करते समय पुलिस ने उसके दो और कर्मचारियों को हिरासत में लिया था, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया.
उनका भी कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. पुलिस द्वारा उनके कार्यालय को सील करने का उल्लेख करते हुए खगड़ा ने याचिका में दावा किया है कि राजू झा के साथ उनके व्यापारिक संबंधों के कारण उन्हें अनावश्यक रूप से परेशान करने के लिए यह किया जा रहा है. याचिका को स्वीकार कर लिया गया है. इस पर बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है.