Falgun Amavasya 2022: इस दिन है फाल्गुन अमावस्या, इस दिन पितर पूजा से मिलेगा लाभ

Falgun Amavasya 2022: पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 01 मार्च दिन मंगलवार को देर रात 01:00 बजे से हो रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 22, 2022 3:25 PM

Falgun Amavasya 2022: इस वर्ष फाल्गुन माह का प्रारंभ 17 फरवरी से हुआ है. फाल्गुन अमावस्या 02 मार्च दिन बुधवार को पड़ रही है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की परंपरा है, जिसका सनातन धर्म में विशेष महत्व है. फाल्गुन अमावस्या के अनुष्ठान का अत्यधिक महत्व है क्योंकि इसे समृद्धि, कल्याण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है.

Falgun Amavasya 2022: तिथि एवं मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 01 मार्च दिन मंगलवार को देर रात 01:00 बजे से हो रहा है. इस समय महाशिवरात्रि का समापन होगा. फाल्गुन अमावस्या तिथि 02 मार्च को रात 11 बजकर 04 मिनट तक मान्य है. उदयातिथि के आधार पर

Falgun Amavasya 2022: फाल्गुन अमावस्या के लाभ

यह भगवान चंद्रमा और भगवान यम का आशीर्वाद पाने में मदद करता है

पर्यवेक्षकों का परिवार अपने जीवन में सभी प्रकार के पापों और बाधाओं से मुक्त हो जाता है

यह पूर्वजों की आत्माओं को राहत देने में मदद करता है और मोक्ष प्राप्त करने में उनका समर्थन करता है

यह बच्चों को समृद्ध और लम्बा जीवन पाने में मदद करता है

Falgun Amavasya 2022: शिव और सिद्ध योग में फाल्गुन अमावस्या

साल 2022 में फाल्गुन अमावस्या दो शुभ योग में है. बता दें कि इस बार फाल्गुन अमावस्या शिव और सिद्ध योग में है. फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 08 बजकर 21 मिनट तक है. उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो 03 मार्च को सुबह 05 बजकर 43 मिनट तक रहेगा.

Falgun Amavasya 2022: पितर पूजा

मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने, श्राद्ध कर्म करने या फिर पिंडदान करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं. कहते हैं कि पितरों के प्रसन्न होने से घर में सुख-शांति बनी रहती हैं और खुशहाल जीवन का आशीष प्राप्त होता है. फाल्गुन अमावस्या के दिन आप पितरों की आत्म तृप्ति के लिए पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण आदि करते हैं, वह दिन में 11:30 बजे से दोपहर 02:30 बजे तक कर लेना चाहिए. अमावस्या के दिन पितरों को तर्पण करने, श्राद्ध कर्म करने या पिंडदान करने से वे प्रसन्न होते हैं.

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