गोरखपुर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय में 10 विषयों में शुरू हुई PhD, जानिए पूरी डिटेल
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजेश सिंह ने बताया कि विज्ञान आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए और बाजार की मांग को देखते हुए पाठ्यक्रम में संशोधन किया गया है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को उच्च स्तर की कृषि शिक्षा प्रदान करना है.
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय लोगों की मांग को देखते हुए अपने पाठ्यक्रमों को संशोधित कर रहा है. विश्वविद्यालय ने कृषि पाठ्यक्रमों में भी संशोधन किया है. इसमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के द्वारा इनका विशेष ध्यान दिया गया है. विश्वविद्यालय में संशोधन के क्रम में कृषि संकाय में 10 विषयों में पीएचडी पाठ्यक्रम बढ़ाए गए हैं.
इन 10 विषयों पर बढ़ाए गए हैं पीएचडी पाठ्यक्रम
एग्रोनोमी, हॉर्टिकल्चर, जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग, पादप रोग विज्ञान, कीट विज्ञान, कृषि प्रसार, कृषि अर्थशास्त्र, मुद्रा विज्ञान, एनिमल हसबेंडरी, पोल्ट्री विज्ञान.
एमएससी कृषि में पादप रोग विज्ञान, मृदा विज्ञान और पशुपालन विज्ञान को शामिल किया गया है. वर्तमान में विभाग में एमएससी कृषि बागवानी, अनुवांशिकी और पादप प्रजनन, कृषि विस्तार, कृषि कीट विज्ञान एवं कृषि अर्थशास्त्र पढ़ाया जा रहा है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर राजेश सिंह ने बताया कि विज्ञान आधारित कृषि को बढ़ावा देने के लिए और बाजार की मांग को देखते हुए पाठ्यक्रम में संशोधन किया गया है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को उच्च स्तर की कृषि शिक्षा प्रदान करना है. उन्हें बताया कि पाठ्यक्रम में उन विषयों को स्थान दिया गया है जिन से जुड़े सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं में बड़ी संख्या में पूछे जाते हैं क्योंकि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान की छात्र सरकारी और गैर सरकारी नौकरियों में अपना स्थान बना सकें.
गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति ने क्या बताया
कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय की बीएससी कृषि में 20% सीटें उन विद्यार्थियों के लिए आरक्षित की गई हैं. जिन्होंने बीएससी गणित या बीएससी बायो में प्रवेश के लिए आवेदन किया है और अपने आवेदन पत्र में बीएससी कृषि विकल्प के रूप में चुना है. बीते वर्ष की इस फार्मूले को अपनाया गया था.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप,गोरखपुर