PHOTOS : उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे थे बिरनी के सुबोध और विश्वजीत, बाहर निकलने पर मनी दिवाली
उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे बिरनी प्रखंड के केशोडीह के विश्वजीत वर्मा और सिमराढाब के सुबोध वर्मा मंगलवार की रात बाहर निकले. इसकी सूचना मिलते ही जश्न का माहौल देखने को मिला. दोनों के घर बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
पिछले 16 दिनों से उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे बिरनी प्रखंड के केशोडीह के विश्वजीत वर्मा और सिमराढाब के सुबोध वर्मा मंगलवार की रात बाहर निकले. इसकी सूचना मिलते ही बिरनी में जश्न का माहौल देखने को मिला. जैसे ही विश्वजीत और सुबोध के परिजनों को यह सूचना मिली की दोनों सकुशल बाहर निकल गयें हैं तो दोनों के घर बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. दोनों के बाहर निकलने की खुशी में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की. लोगों ने सुबोध और विश्वजीत के परिजनों को मिठाई खिला कर बधाई भी दी.
सुबोध के टनल से सकुशल बाहर निकलने के बाद गांव में यहां के लोगों ने दूसरी बार दीपावली मनायी. वहीं अपने बेटे के बाहर निकलने की खुशी में सुबोध की मां चंद्रिका देवी और पिता बुधन महतो की आंखे नम हो गयी थी.
सुबोध के गांव सिमराढाब में मंगलवार की शाम से ही लोगों की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी. जैसे-जैसे रेस्क्यू का समय करीब आते गया वैसे-वैसे लोग सुबोध के घर के बाहर उमड़ने लगे थे. स्थानीय मुखिया दिलीप दास भी देर शाम से ही सुबोध के घर के बाहर आग जलाकर डटे हुए थे. उनके साथ काफी संख्या में ग्रामीण भी थे. सुबोध बाहर निकला तो मुखिया समेत अन्य सदस्यों से खुशी का इजहार किया और रेस्क्यू अभियान में शामिल टीम के सभी सदस्यों को बधाई दी.
विश्वजीत की पत्नी चमेली देवी ने अब राहत की सांस ली है. विश्वजीत के सुरंग से बाहर निकलने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में चमेली देवी ने कहा कि निराश हो गये थे. उन्होंने कहा कि बच्चे दीपावली के दिन पटाखा लेकर आये थे, लेकिन जैसे ही पिता के सुरंग में फंसे होने की खबर मिली, वह काफी उदास हो गये और पटाखा रख दिया. घर में दीया भी नहीं जलें. लेकिन देशवासियों की दुआ और सरकार का प्रयास काम आया और हमारे घर की रौनक लौट आई हैं और हमारी दिवाली आज है.
पति के सकुशल वापसी को लेकर पत्नी चमेली देवी कई मंदिरों में जाकर मन्नतें मांगी थी. उन्होंने बताया कि अब उनके पति सकुशल बाहर आ गये हैं, तो अब मंडप में जाकर पूजा-अर्चना करेगी. चार जगहों पर उन्होंने मन्नत मांगी थी. एक-एक कर सभी जगह जाकर पूजा करेगी.
पत्नी चमेली देवी ने कहा कि 16 दिनों तक घर का माहौल काफी उदास था. 17वें दिन खुशी लौटी. गरीबी के कारण पति को बाहर कमाई के लिए जाना पड़ा. लेकिन, इस हादसे के बाद दहशत है. उन्होंने कहा कि अब कमाने के लिए बाहर भेजने की साहस नहीं है. हमारे तीन बच्चे हैं, सभी खुश हैं. घर-परिवार के पालन-पोषण के लिए उनके पति जो निर्णय लेंगे, वही मान्य होगा. सरकार को यहीं पर रोजगार की व्यवस्था करनी चाहिए.
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