जामताड़ा : आधुनिकता से दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरा स्थानों में पिकनिक मनाने का मजा कुछ अलग ही होता है. ऐसे तो नाला प्रखंड अंतर्गत कई पिकनिक स्पॉट हैं, लेकिन ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व को समेटे हुए मांलंचा पहाड़ की तलहटी में पिकनिक मनाना बेहद सुखद अनुभूति का एहसास दिलाता है. प्रखंड के ऐतिहासिक पर्यटक स्थल के रूप में शुमार मांलंचा पहाड़ बंगला पौष महिना प्रारंभ होते ही इस मनोरम व शांत स्थल पर लोग पिकनिक मनाने के लिए हर साल पहुंचते हैं. युवा वर्ग अपने दोस्तों के साथ तो अनेकों अपने परिवार के साथ नववर्ष पर मां मांलंचा की गोद में पिकनिक मनाने की तैयारी में जुट गये हैं. इस स्थल का खासियत यह है कि घने वृक्षों से आच्छादित मौन मूक पर्वत शृंखला. पहाड़ के नीचे मां मांलंचा का पूजा स्थल, पहाड़ की तलहटी में विस्तृत खुला मैदान, पंक्षियों का कलरव, दो पहाड़ों के बीच में बहती जलधारा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. यह स्थल आधुनिकता से दूर ग्राम्य परिवेश में अवस्थित होने, किसी प्रकार का शोर-शराबा नहीं होने, प्रदूषण मुक्त रहने के कारण लोग बेहद सुखद अनुभूति प्राप्त होने के कारण सहजता से खींचे चले आते हैं. यहां शांत वातावरण एवं प्राकृतिक सुंदरता के कारण मन स्वत: ही शांत हो जाता है. इसलिए प्रत्येक साल बंगला पौष महीना से लेकर अंग्रेजी नववर्ष के दिन सैकड़ों लोग पिकनिक मनाने के लिए चले आते हैं. विधायक सह विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के सहयोग से इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. पर्यटन विभाग पहाड़ का सौंदर्यीकरण कर रहा है. आने वाले समय में प्रखंड क्षेत्र के मनोरम स्थल के रूप में विकसित करने के लिए कुछ काम और बाकी है.
यहां पर दो से तीन चापाकल, विधायक निधि से दो सभा भवन के अलावा इस स्थान तक दोपहिया एवं चार पहिया वाहनों से आना-जाना किया जा सकता है. गांव से थोड़ी दूर पर अवस्थित रहने के कारण आवश्यक सामग्री अपने साथ लाना जरूरी है, नहीं तो फिर वहां से दूर दो किलोमीटर मालडीहा मोड़ से सामान प्राप्त किया जा सकता है.
नाला प्रखंड मुख्यालय से अफजलपुर सड़क के मालडीहा मोड़ करीब पांच किलोमीटर है. यहां पहुंचते ही मां मांलंचा का तोरण द्वार दिखाई पड़ेगा. यहां से दो किलोमीटर दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है. यहां दोपहिया या चार वाहनों से जाया जा सकता है.