Loading election data...

Pitru Paksha 2023: साल में श्राद्ध के लिए 96 दिन, लेकिन पितृपक्ष क्यों है खास, जानें पिंडदान और तर्पण का महत्व

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में अपने दिवंगत पूर्वजों-पितरों को कव्य अर्पित करने का विधान बताया गया है. जिनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं, वे लोग पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान कर अपने पूर्वजों से आशीर्वाद लेते है.

By Radheshyam Kushwaha | July 25, 2023 3:46 PM

Pitru Paksha 2023: सनातन धर्म में पितरों के लिए श्राद्ध का पक्ष होता है. पितृपक्ष भाद्रपाद यानि भादो की पूर्णिमा से अश्वनी कृष्णपक्ष अमावस्या तक 16 दिनों का होता है. धर्मसिंधु के अनुसार, वर्षाकाल के खत्म होते-होते इस अवधि में यम पितरों को धरती पर भेजते हैं. पितर लोक को धार्मिक ग्रंथों में चंद्रमा के उर्ध्व भाग पर बताया गया है. मान्यताओं के अनुसार पितृपक्ष में अपने दिवंगत पूर्वजों-पितरों को कव्य अर्पित करने का विधान बताया गया है. जिनके पिता इस दुनिया में नहीं हैं, वे लोग अपने पिता, दादा, और परदादा, माता, दादी और परदादी समेत कुल परिवार के सभी पितरों को जल अर्पित कर उनका स्मरण करते हैं.

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान

पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने का विधान है. जिस तिथि पर पिता का निधन हुआ होता है, उस दिन विधान पूर्वक उनके लिए श्राद्ध कर्म करते हैं, जिसे पिंडदान भी कहा जाता है. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर को समाप्ति होगी. पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और सदैव अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं. इस दौरान किए गए विभिन्न उपायों से व्यक्ति के पितृ दोषों से भी छुटकारा मिलता है.

Pitru Paksha 2023: 28 सितंबर से शुरू हो रहा मेला

17 दिवसीय पितृपक्ष मेला गया जी में इस बार 28 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस मेले का समापन 15 अक्तूबर को होगा. अलग-अलग तिथियों को अलग-अलग वेदी स्थलों पर पिंडदान, श्राद्धकर्म व तर्पण का विधान है. पिंडदान का कर्मकांड करा रहे पंडित भानु कुमार शास्त्री के अनुसार गयाश्राद्ध में मुंडनकर्म का निषेध माना गया है. उन्होंने कहा कि वायु पुराण में यह वर्णित भी है.

Also Read: Pitru Paksha 2023: गया में इस दिन से पितृपक्ष मेला शुरू, जानें तिथिवार वेदी स्थलों पर पिंडदान करने का विधान
Pitru Paksha 2023:  गयाजी में तिथिवार इन वेदी स्थलों पर पिंडदान का है विधान

  • 28 सितंबर (भाद्रपद चतुर्दशी)- पुनपुन पांवपूजा या गोदावरी श्राद्ध.

  • 29 सितंबर (भाद्रपद पूर्णिमा)- फल्गु स्नान श्राद्ध एवं पूजा खीर का पिंड.

  • 30 सितंबर (आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि)- प्रेतशिला, ब्रह्मकुंड, रामकुंड, रामशिला व कागबली.

  • 01 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष द्वितीया तिथि)- उत्तर मानस, उदीची, कनखल, दक्षिण मानस, जिव्हालोल व गदाधर जी का पंचामृत स्नान.

  • 02 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि)- बोधगया के सरस्वती स्नान व पंचरत्न दान, तर्पण, धर्मारण्य, मातंगवापी, व बौद्ध दर्शन.

  • 03 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि)- ब्रह्मसरोवर श्राद्ध, काकबलि श्राद्ध, तारक ब्रह्म का दर्शन व आम्रसिंचन.

  • 04 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि)- विष्णुपद स्थित 16 वेदी में रूद्र पद, ब्रह्म पद, विष्णुपद श्राद्ध व पांव पूजा.

  • 05 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि)- 16 वेदी में कार्तिक पद, दक्षिणाग्निपद, गाहर्पत्यागनी पद व आहवनयाग्नि पद.

  • 06 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि)- 16 वेदी में सूर्यपद, चंद्र पद, गणेश पद, संध्याग्नि पद, आवसंध्याग्नि पद व दघिची पद.

  • 07 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि)- 16 वेदी में मतंग पद, क्रौंच पद, इंद्र पद अगस्त्य पद कश्यप पद, गजकर्ण पद, दूध तर्पण व अन्नदान.

  • 08 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष नवमी तिथि)- राम गया श्राद्ध, सीताकुंड (बालू का पिंड) सौभाग्य दान व पांव पूजा.

  • 09 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष दशमी तिथि)- गया सिर, गया कूप (त्रिपिंडी श्राद्ध), पितृ व प्रेत दोष निवारण श्राद्ध.

  • 10 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि)- मुंड पृष्ठ श्राद्ध (आदि गया) धौतपद श्राद्ध व चांदी दान.

  • 11 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष द्वादशी तिथि)- भीम गया, गौ प्रचार व गदा लोल श्राद्ध.

  • 12 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि)- विष्णु भगवान का पंचामृत स्नान, पूजन, फल्गु में दूध तर्पण व दीपदान.

  • 13 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि)- वैतरणी श्राद्ध, तर्पण व गोदान.

  • 14 अक्तूबर (आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि)- अक्षयवट श्राद्ध (खीर का पिंड) शैय्या दान, सुफल व पितृ विसर्जन.

  • 15 अक्तूबर (आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि)- गायत्री घाट पर दही चावल का पिंड, आचार्य को दक्षिणा व पितृ विदाई.

Also Read: Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन पर भद्रा का साया, इस साल 2 दिन बांधी जाएगी राखी, यहां दूर करें कंफ्यूजन
Pitru Paksha 2023:  पितृपक्ष का महत्व

पंचांग के अनुसार पितृपक्ष भाद्रपद मास के मध्य आता है, जिसे श्राद्ध का महीना भी कहा जाता है. इस महीने में विशेष रूप से पितृ तर्पण करने और श्राद्ध करने की परंपरा है. श्राद्ध में पितरों के नाम उच्चारण करके प्रेतकाया (पितरों के आत्मा का रूप) को भोजन, पानी, वस्त्र, और अन्य वस्तुएं दान किए जाते हैं. यह विशेष तिथियां और मान्यताएं पितरों के अनुशरण करने के लिए हैं जो उन्हें आनंदित और शांति प्रदान कर सकती हैं. इस मौके पर परिवार के लोगों को पितरों की पुण्यतिथि पर उन्हें श्राद्ध करने का अवसर मिलता है. पिंडदान के द्वारा पितृ तर्पण किया जाता है, जिससे पितृ आत्मा को शांति मिलती है. मान्यता है कि पितरों के आत्मा इस अवसर पर पिंडदान के माध्यम से भोजन और वस्त्र का आनंद लेते हैं और अपने संतानों की खुशियों का ध्यान रखते हैं. मान्यता यह भी है कि पितृपक्ष में पिंडदान करने से पितृ आत्माएं संतुष्ट होती हैं और उन्हें शांति मिलती है. इसलिए, यह परंपरा अपने पूर्वजों के स्मृति और आत्मा के सम्मान का एक माध्यम भी है.

Next Article

Exit mobile version