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Pitru Paksha 2023: शुरू होने जा रहा है पितृ पक्ष, इन जीवों को कराएं भोजन

Pitru Paksha 2023: कहते हैं पितृ पक्ष में व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ हह इस दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस साल पितृ पक्ष की शुरूआत 27 सितंबर से हो रही है और इसका समापन 14 अक्टूबर को किया जाएगा.

Pitru Paksha 2023:  पितृ पक्ष का महीना पितरों को समर्पित हैं. इस महीने में पितरों की आत्म की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता है. कहते हैं पितृ पक्ष में व्यक्ति को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. साथ हह इस दौरान पितर संबंधित कार्य करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.  

पितृ पक्ष  में इन जीवों को कराएं भोजन

कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है. मात्र गाय को चारा खिलने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है साथ ही श्राद्ध कर्म सम्पूर्ण होता है.

कब से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष

पितृ पक्ष का आरंभ इस साल 27 सितंबर से हो रहा है और इसका समापन 14 अक्टूबर को किया जाएगा. इस महीने में पितरों की मृत तिथि के अनुसार, ही उनका श्राद्ध तिया जाता है.
पितृ पक्ष तिथि (Pitry Paksha 2023 Tithiyan)

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- सितंबर 29, 2023 को 03:26 पी एम बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त- सितंबर 30, 2023 को 12:21 पी एम तक

पितृ पक्ष के अनुष्ठानों का समय

कुतुप मुहूर्त- दोपहर 11:47 बजे से 12:35 बजे तक, अवधि- 00 घंटे 48 मिनट्स

रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12:45 बजे से 01:23 बजे तक, अवधि – 00 घंटे 48 मिनट्स

अपराह्न काल – दोपहर 01:23 बजे से 03:46 बजे तक, अवधि – 02 घंटे 23 मिनट्स

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां (Pitru Paksha 2023 Shradh Dates)

  • 29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध

  • 30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध

  • 01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध

  • 02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध

  • 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध

  • 04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध

  • 05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध

  • 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध

  • 07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध

  • 08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध

  • 09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध

  • 11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध

  • 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध

  • 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध

  • 14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या

पितृ पक्ष का महत्व

मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जाता है.

ऐसे करें पितरों को प्रसन्न

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों की आत्म को तृप्ति तभी मिलती है, जब उन्हें अर्पित किए जाने वाले भोजन के पांच अंश निकाले जाते हैं. ये पांच अंश गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के नाम पर अलग किए जाते हैं.

पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2022) में श्राद्ध कर्म में भोजन से पहले पांच जगहों पर भोजन के अंश निकाले जाते हैं. भोजन का ये अंश गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर निकाला जाता है. वहीं कौवे के लिए भोजन का अंश जमीन पर रखा जाता है. इसके बाद पितरों से प्रार्थना की जाती है कि वे इन जीवों के माध्यम से अपना भोजन ग्रहण करें.

पितृ पक्ष में क्या करें

इस दौरान पिंड दान करना चाहिएष साथ ही तर्पण करना चाहिए. तर्पण के लिए कुषा घास, आटा और काले तिल को एक जल में मिलाकर चढ़ाना चाहिए. साथ ही पितर पक्ष में ब्राह्मण को भोजन भी कराना चाहिए. इसके अलावा व्यक्ति को कुछ बातों का ख्याल भी रखना चाहिए. इस दौरान तामसिक भोजन से परहेज रखें जैसे मांस मदिरा और लहसून प्याज.

गाय की सेवा से पितरों का आशीर्वाद

पितृ पक्ष में गाय की सेवा से पितरों को मुक्ति मोक्ष मिलता है. साथ ही अगर गाय को चारा खिलाया जाय तो वह ब्राह्मण भोज के बराबर होता है. पितृ पक्ष में अगर पञ्च गव्य का प्रयोग किया जाय, तो पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है. साथ ही गौदान करने से हर तरह के ऋण और कर्म से मुक्ति मिल सकती है.

पितृपक्ष के दौरान पितरों का श्राद्ध किया जाता है, ये 16 दिन पितरों को समर्पित होते हैं, ऐसे में इन 16 दिनों में केवल सात्विक भोजन ही खाना चाहिए. मांस, मछली, अंडा, शराब आदि जैसी चीजों से पूरी तरह दूरी बना लें. जो व्यक्ति श्राद्ध करता है, वो कोशिश करे कि केवल घर के बने सात्विक भोजन का ही सेवन करे, बाहर का खाना इस दौरान वर्जित होता है.

मांस, मछली के अलावा इस दौरान लहसुन और प्याज का इस्तेमाल भी न करें. इन 16 दिनों में जो कुछ बनता है उसका भोग पितरों को लगाया जाता है और ब्राह्मणों को भी भोजन कराने का नियम है, ऐसे में इस भोजन में लहसुन प्याज का इस्तेमाल न करें.

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