Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष 15 दिन ही क्यों चलता है, यहां जानें वजह

Pitru Paksha 2023: हिन्दू धर्म में पितृगणों (पूर्वजों) की पूजा और श्राद्ध के दिनों का पालन करने का समय होता है. यह 15 दिन का अवसर होता है और चैत्र और आश्वयुज मास के बीच आता है.

By Shaurya Punj | October 9, 2023 7:30 AM

Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में पितृगणों (पूर्वजों) की पूजा और श्राद्ध के दिनों का पालन करने का समय होता है. यह 15 दिन का अवसर होता है और चैत्र और आश्वयुज मास के बीच आता है. इस दौरान सनातन धर्म को मानने वाले लोग 15 दिनों तक अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान, तर्पण और श्राद्ध जैसे कर्मकांड करते हैं. मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में पितृ अपने परिवार के बीच आते हैं. लेकिन क्या आप जानते है कि पितृपक्ष 15 दिनों तक ही क्यों होता है.

Also Read: Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से होगा शुरू, कलश स्थापना के लिए जानिए शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यता के अनुसार अगर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित, बच्चा हो या बुजुर्ग हो, या पुरुष हो, मृत्यु के बाद उसे पितृ कहा जाता है. मान्यता के अनुसार, मृत्यु के बाद यमराज मृतक की आत्मा को 15 दिन के लिए मुक्त कर देते हैं. इसलिए, इस दौरान व्यक्ति अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान, श्राद्ध, और तर्पण जैसे कार्य करते हैं.

पितृपक्ष के दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के उपाय किए जाते हैं. यह अवधि पितरों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करने का एक तरीका माना जाता है, जिसमें तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध जैसे कर्मकांड शामिल होते हैं. इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से भी छुटकारा मिलता है.

15 दिनों का पितृपक्ष होने के अन्य कारण

  • पुरानी पौराणिक कथाएँ: पितृपक्ष की परंपरागत भारतीय पौराणिक कथाओं और ग्रंथों से जुड़ी है, जिसमें इसके 15 दिन की अवधि का वर्णन होता है.

  • आर्थिक और आध्यात्मिक महत्व: पितृपक्ष के दौरान पितृगणों की आत्मा को शांति देने का काम किया जाता है, और यह इनके आत्मिक उन्नति और शांति की कामना से जुड़ा होता है.

ऋतु संवाद: चैत्र मास में पितृपक्ष आता है, जो मानसूनी ऋतु के अंत को सूचित करता है और खेती के कार्यों की तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण होता है.

Also Read: Dussehra 2023: विजयादशमी पर बन रहे हैं दो शुभ योग, मिलेगा पूजा का लाभ

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

Next Article

Exit mobile version