PLI Scheme Update : इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Rajeev Chandrashekhar) ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य अगले 3 साल में स्थानीय उत्पादन के जरिये देश की 70 प्रतिशत तक आईटी हार्डवेयर आवश्यकता को पूरा करना और गैर-भरोसेमंद स्रोतों से आयात पर निर्भरता कम करना है. चंद्रशेखर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय उद्योग जगत के लोगों के साथ आईटी हार्डवेयर आयात नियमों का एक मसौदा साझा करेगा. मकसद गैर-भरोसेमंद स्रोतों से आपूर्ति पर निर्भरता को कम करना है.
सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) हार्डवेयर क्षेत्र में 17,000 करोड़ रुपये की उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लिए 40 में लगभग 30 आवेदक चयनित हो सकते हैं. एक सरकारी अधिकारी ने यह अनुमान जताया है.
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डेल, एचपी और लेनोवो सहित कम से कम 40 कंपनियों ने योजना अवधि के दौरान 4.65 लाख करोड़ रुपये के पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, सर्वर और अन्य उपकरण बनाने की प्रतिबद्धता के साथ आईटी हार्डवेयर पीएलआई योजना के लिए आवेदन किया है.
पीटीआई-भाषा ने आधिकारिक सूत्र के हवाले से कहा, लगभग 30-32 कंपनियां (आईटी हार्डवेयर पीएलआई) योजना के लिए अर्हता प्राप्त कर सकती हैं. कुछ कंपनियां वित्तीय मुद्दों और संगठन संरचना के मुद्दों के कारण योजना के लिए अयोग्य दिख रही हैं.
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योजना के लिए 17,000 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के मुकाबले आवेदकों ने 22,890 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन का अनुमान लगाया है. सूत्र ने कहा कि चुनिंदा कंपनियों को योजना के लिए आवंटित कोष से प्रोत्साहन दिया जाएगा.
डेल और एचपी जैसी प्रमुख आईटी हार्डवेयर कंपनियां सीधे कार्यक्रम में भाग ले रही हैं, जबकि एचपीई, लेनोवो, एसर, आसुस और थॉमसन जैसी अन्य महत्वपूर्ण कंपनियां भारत में विनिर्माण सुविधाओं वाली फ्लेक्सट्रॉनिक्स और राइजिंग स्टार जैसी इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा (ईएमएस) कंपनियों के माध्यम से भाग ले रही हैं.
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ऐपल के आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन ने भी अपनी एक सहायक कंपनी के माध्यम से पीएलआई के लिए एक आवेदन किया है. योजना के लिए आवेदन करने वाली घरेलू कंपनियों में पैडगेट (डिक्सन), वीवीडीएन, नेटवेब, सिरमा, ऑप्टिमस, सहस्र, नियोलिन्क, पैनेक, सोजो (लावा) और कायन्स टेक्नोलॉजीज शामिल हैं.
इस योजना से इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में 75,000 पेशेवरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने और 5,000 करोड़ रुपये का वृद्धिशील निवेश आने की उम्मीद है. अधिकारी ने बताया कि पात्र कंपनियों की सूची सितंबर के अंत तक या अक्टूबर की शुरुआत में जारी हो सकती है.
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पीएलआई योजना क्या है?
पीएलआई योजना या उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक योजना है जो घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन और डेवलप की गई है. यह योजना कंपनियों को भारत में अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है.
पीएलआई योजना के तहत, सरकार कंपनियों को उनके उत्पादन के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करती है. प्रोत्साहन की राशि उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक निवेश के आधार पर निर्धारित की जाती है.
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पीएलआई योजना के उद्देश्यों में शामिल हैं –
आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देना
रोजगार सृजन को बढ़ावा देना
निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा देना
घरेलू विनिर्माण उद्योगों को मजबूत करना.
पीएलआई योजना को 2020 में शुरू किया गया था और इसमें 13 क्षेत्र शामिल हैं. इनमें मोबाइल फोन और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक, फार्मा, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल, उन्नत रसायन सेल, लैपटॉप और डेस्कटॉप कंप्यूटर, एयर कंडीशनर, हीटर और रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, और स्टील शामिल हैं.
पीएलआई योजना को सरकार द्वारा एक सफल पहल माना जाता है. इसने घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने और आयात बिलों को कम करने में मदद की है.
पीएलआई योजना के कुछ लाभों में शामिल हैं –
यह घरेलू विनिर्माण उद्योगों को मजबूत करता है
यह आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देता है
यह रोजगार सृजन को बढ़ावा देता है
यह निर्यात क्षमताओं को बढ़ावा देता है.
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पीएलआई योजना के कुछ चुनौतियों में शामिल हैं –
यह महंगी हो सकती है
यह कुछ क्षेत्रों को अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभ प्रदान कर सकती है
यह वित्तीय प्रोत्साहनों के लिए कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा को जन्म दे सकती है.
कुल मिलाकर, पीएलआई योजना एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत के विनिर्माण उद्योग को मजबूत करने में मदद कर रही है.
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