PM Modi on Deepfake and AI: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल ‘डीप फेक’ बनाने के लिए करना चिंताजनक है और उन्होंने मीडिया से लोगों को इस उभरते संकट के बारे में जागरूक करने का अनुरोध किया.
संकल्प का किया जिक्र: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दिवाली मिलन कार्यक्रम में यहां पार्टी मुख्यालय में उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए भारत को विकसित भारत बनाने के अपने संकल्प का भी जिक्र किया.
#WATCH | PM Modi says, " …There is a challenge arising because of Artificial Intelligence and deepFake…a big section of our country has no parallel option for verification…people often end up believing in deepfakes and this will go into a direction of a big challenge…we… pic.twitter.com/akT17qGNGO
— ANI (@ANI) November 17, 2023
वोकल फॉर लोकल को मिला सपोर्ट: प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही कहा कि ये महज बयानबाजी नहीं है बल्कि जमीनी हकीकत है. उन्होंने कहा कि, वोकल फॉर लोकल को लोगों का समर्थन मिला है.
छठ पर कही यह बात: भाषा की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि, कोविड-19 के वक्त भारत की उपलब्धियों ने लोगों में यह विश्वास पैदा किया कि अब देश रुकने वाला नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि छठ पूजा ‘राष्ट्रीय पर्व’ बन गया है जो बेहद प्रसन्नता की बात है.
डीपफेक पर जारी हो चुके हैं निर्देश: कुछ ही समय पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री ने 24 घंटों के अंदर डीपफेक कंटेंट को रिमूव करने के लिए फेसबुक इंस्टाग्राम और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को सलाह जारी की थी. केवल यहीं नहीं सरकार ने यह भी कहा कि, ऐसा न करने पर भारतीय कानूनों के तहत आपराधिक और न्यायिक कार्रवाई की जाएगी.
क्या है डीपफेक: इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल फेक मीडिया कंटेंट क्रिएट करने के लिए किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर वीडियो और अन्य डिजिटल कंटेंट में चेहरे की अदला-बदली की जाती हैं. केवल इतना ही नहीं, यह टेक्नोलॉजी सिर्फ वीडियो तक ही सीमित नहीं है. अब इसका इस्तेमाल फेक इमेज, ऑडियो जैसे कंटेंट्स को भी क्रिएट करने के लिए किया जाने लगा है.
कैसे बनाये जाते हैं डीपफेक वीडियोज? : डीपफेक एनकोडर और डिकोडर नेटवर्क के कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल कर बनाए जाते हैं, अक्सर जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (जीएएन) के संदर्भ में. एनकोडर नेटवर्क सोर्स कंटेंट (उदाहरण के लिए, बेस चेहरा) का विश्लेषण करता है और जरुरी फीचर्स और रिप्रजेंटेशन को निकालता है. इसके बाद इन फीचर्स को डिकोडर नेटवर्क में भेज दिया जाता है, जो नये कंटेंट को जेनरेट करता है, जैसे कि एक अदला-बदली किया गया चेहरा.