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एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ पीएम मोदी ने देश को एक संकल्प दिया: सीएम योगी

ब्राह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 54वीं व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 9वीं पुण्यतिथि पर गोरखपुर में साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह का शुभारंभ हुआ. सीएम योगी ने इस मौके पर कहा कि भारत दुनिया में विकास की भावना का पोषक है.

गोरखपुर: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया के अंदर विकास की भावना क्या होनी चाहिए, यह भारत ने ही दिया है. विगत नौ वर्षों से देश और दुनिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इसी भावना का प्रतिनिधित्व भी कर रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को ब्राह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 54वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 9वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के मौके पर ये बातें कही.

‘एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना की आधारशिला’ विषयक संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को एक संकल्प दिया. उत्तर से दक्षिण तक तथा पूर्व से पश्चिम तक एक भावना से सभी को संबल प्रदान किया. देश के 120 जनपद नक्सल प्रभावित थे. पूर्वोत्तर अराजकता से भरा था. पीएम मोदी ने अपने नेतृत्व में भेदभाव की भावना को समाप्त कर, विकास की योजनाओं से जोड़कर इन सभी क्षेत्रों को विकास की धारा में ला दिया. कश्मीर हो या कन्याकुमारी, अरुणाचल हो या द्वारिकापुरी, सभी देशवासियों को सीधे विकास की परियोजनाओं से जोड़कर एक दूसरे राज्यों से परस्पर संबंध बनाकर, भारत को समानभाव से समझने का अवसर दिया.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल किला से पंच प्रण का संकल्प लेकर देशवासियों को यह भाव दिया कि हमें एक विकसित भारत का निर्माण करना है. जो गुलामी के प्रतीक हैं, उनसे मुक्ति पाकर स्वदेशी पर गर्व करते हुए आत्मनिर्भर बनाना होगा. एक तरफ गुलामी के अंश पर विराम लगाना है तो दूसरी तरफ अपनी विरासत पर गौरव करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह भारत देश ऐसा है जहां जन्म लेना दुर्लभ है, उसमें भी मनुष्य के रूप में जन्म लेना सौभाग्य की बात है. हमें अपने तीर्थ, धर्म ग्रंथ और संस्कृति पर गर्व करने के साथ हर नागरिक से समान व्यवहार करना चाहिए. साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति सभी को जागरूक रहना होगा. पीएम मोदी के पंच प्रण ने देश में एक भाव पैदा किया है जिससे हम सभी का दायित्व राष्ट्र प्रथम का ही गया है.

सीएम योगी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज ने अपना पूरा जीवन भारत और भारतीयता के लिए समर्पित कर दिया. इन महापुरुषों के आदर्शों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंच प्रण को अपने दायित्व से जोड़कर हम सभी एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को सिद्ध करेंगे.

गोरक्षपीठ में एक भारत, सर्वश्रेष्ठ भारत का भाव : प्रो. दीपक कुमार

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के उपाध्यक्ष प्रो. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि गोरक्षपीठ में आकर अनुभव हो रहा है कि यहां एक भारत श्रेष्ठ भारत ही नहीं बल्कि एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत का भाव है. हमारे देश में जय जवान, जय किसान के उदघोष में प्रधानमंत्री जी ने जय विज्ञान जोड़ा है. आने वाले समय में उसमें जय ज्ञान जोड़ा जाएगा क्योंकि देश पूरे विश्व को अपने ज्ञान से आलोकित कर रहा है.

नौ राज्यों में अपने कार्य के अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सभी राज्यों में एक भारत श्रेष्ठ भारत का भाव देखा है. चंद्रयान-3 की सफलता ने भारत की श्रेष्ठता मानने को पूरे विश्व को विवश कर दिया है. जी-20 में पूरा विश्व भारत की सांस्कृतिक विरासत और क्षमता का दर्शन किया है. 500 वर्ष पहले गोस्वामी तुलसीदास जी ने विकसित भारत के स्वरूप को अपने कुछ चौपाइयों में परिभाषित किया है. भारत के प्रधानमंत्री ने संकल्प से सिद्ध का नारा देकर देशवासियों को अपने देश को श्रेष्ठ बनाने के लिए संकल्पित कराया है. हमारे प्रगतिशील देश में विकसित होने का भाव ही आज नए भारत की संकल्पना को पूरा कर रहा है.

राष्ट्रीय चेतना को विश्व पटल पर ला रहे पीएम मोदी : प्रो ईश्वर शरण

विशिष्ट वक्ता उच्च शिक्षा आयोग प्रयागराज के अध्यक्ष प्रो ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने कहा कि यह सभागार चेतना का सभागार है. यहां जो धूनी जलती है वह निरंतर राष्ट्रीय चेतना को जाग्रत करती है. आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसी चेतना को विश्व पटल पर ला रहे हैं. यह भारत भूमि ऐसी भूमि है जहां देवता भी आने के लिए लालायित रहते हैं. आज एक भारत श्रेष्ठ भारत की संकल्पना कैसे सिद्ध होगी इस पर पीएम मोदी ने विचार किया और देश के करोड़ों जनमानस को इसके लिए आह्वान किया.

बात जम्मू कश्मीर की हो, तमिलनाडु की हो, मेघालय की हो या पांडिचेरी की हो. सबको आवश्यकता के अनुसार बजट दिया और विकास के लिए उचित निर्देशन भी किया। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन मंहत दिग्विजयनाथ जी महाराज अपने पूरे जीवन में भारत को श्रेष्ठ बनाने की संकल्पना के साथ संघर्ष करते रहे. उन्हीं के पदचिन्हों पर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज जी भी समाज का नेतृत्व करते रहे.

सीएम योगी से पूरा देश प्रभावित : स्वामी श्रीधराचार्य

अशर्फी भवन अयोध्या से पधारे जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्रीधराचार्य जी महाराज ने कहा कि भारत केवल भूमि नहीं है अपितु भारत माता हमारी दैवीय शक्ति है। यहां रहने वाले विविधता में भी एकता की भावना रखते हैं. हमें भारत के गौरव के लिए व भारत की एकता के लिए सदैव मिलकर काम करना चाहिए. यह समन्वय यदि पूरे भारत में हो जाय तो यह देश निश्चित ही श्रेष्ठ बनकर रहेगा.

आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तरह प्रदेश का समन्वय के साथ विकास कर रहे हैं, उससे पूरा देश आज प्रभावित है. बड़ोदरा से पधारे महंत गंगादास जी महाराज ने कहा कि आजाद भारत में हमारे राजनेता समाज को जातियों और संप्रदायों में बांटकर देश को कमजोर करते रहे। पिछले कुछ वर्षों में देश के प्रधानमंत्री के प्रयास से देश में एकता की भावना लाकर देश को श्रेष्ठता प्रदान किया जा रहा है.

विभिन्नता में भी एक है भारत : प्रो सिंह

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो उदय प्रताप सिंह ने स्वागत एवं प्रस्ताविकी में कहा कि हमारा राष्ट्र पांच तत्वों से बना हुआ है. जिसमें सामाजिक समरसता व विश्व बंधुत्व की भावना है जो भारत को श्रेष्ठ बनाती है. भारत में विभिन्नता है फिर भी भारत एक है, इसीलिए भारत श्रेष्ठ है और भारत विकास की ओर अग्रसर हो रहा है. संगोष्ठी में महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज के हिंदी के प्रवक्ता तथा योगवाणी के संपादक डॉ फूलचंद प्रसाद गुप्त की पुस्तक “भोजपुरी सतसइ” का विमोचन अतिथिगण द्वारा किया गया.

वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी, गोरक्षाष्टक पाठ आदित्य पांडेय व गौरव तिवारी, दिग्विजयस्त्रोत पाठ डॉ. अभिषेक पांडेय, महंत अवेद्यनाथस्त्रोत पाठ डॉ प्रांगेश कुमार मिश्रा तथा संचालन माधवेंद्र सिंह ने किया. इस अवसर पर महंत सुरेश दास जी महाराज, ब्रह्मचारीदास लाल जी, महंत शिवनाथ जी ,महंत राम मिलन दास जी, महंत धर्मदास जी, महंत संतोष दास जी ,महंत मिथलेशनाथ जी, महंत रवींद्रदास जी, योगी रामनाथ जी, भाजपा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद डॉ रमापति राम त्रिपाठी, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, सांसद विजय दुबे, विधायक विपिन सिंह, कामेश्वर सिंह प्रमुख रूप से उपस्थित रहे.

नाम के नहीं सचमुच के दिग्विजयी थे दिग्विजयनाथ: पुण्यतिथि पर विशेष

सिर्फ नाम के नहीं सचमुच के दिग्विजयी थे गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ. उनके शिष्य और पीठ के मौजूदा पीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के मुताबिक, “वह अंतिम क्षण तक हिंदू जाति, धर्म और राष्ट्र के हित चिंतन में लगे रहे। पवित्र उद्देश्य से लक्ष्य निर्धारित करने. अपने मजबूत संकल्प और हर संभव तरीके से पूरा करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी. साथ ही प्रतिभावान लोगों को परखने, प्रोत्साहित करने और उसी अनुसार मौका देने की विलक्षण प्रतिभा भी उनमें थी” (महंत दिग्विजय नाथ स्मृति ग्रंथ). उनका मजबूत इरादा और संकल्प शायद उस भूमि से मिली थी, जहां उन्होंने जन्म लिया था.

मालूम हो कि महंत दिग्विजय नाथ का जन्म उदयपुर के प्रसिद्ध राणा परिवार में हुआ था. वही राणा प्रताप जिन्होंने तमाम प्रलोभनों और मुश्किलों के बावजूद भी अपने समय के सबसे ताकतवर मुगल सम्राट अकबर के सामने घुटने नहीं टेके. यही वजह है कि उन्होंने हिंदू, हिंदुत्व और राष्ट्र की बात पूरी मुखरता से तब की जब आजादी से पहले और बाद में कांग्रेस की आंधी चल रही थी. तब खुद को धर्मनिरपेक्ष कहना फैशन और खुद को हिंदू कहना अराष्ट्रीयता का प्रतीक बन गया था. वह हिंदू और हिंदुत्व के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय था. ऐसे समय में वह सड़क से लेकर सदन और संसद तक बहुसंख्यक हिन्दू समाज की आवाज बन गए.

अपने समय में वह हिंदी, हिंदू और हिंदुस्थान के प्रतीक थे. स्वदेश, स्वधर्म और स्वराज उनके जीवन का मिशन था. उस समय के तमाम दिग्गज नेताओं से वैचारिक विरोध के बावजूद उन सबसे उनके निजी रिश्ते सबसे अच्छे थे. सब उनका आदर करते थे. ब्रह्मलीन होने के बाद संसद में दी गई श्रद्धांजलियां इस बात का सबूत हैं. खासकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी और स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने जो कहा था, वह काबिले गौर है.

शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में श्री महंत का बहुत ऊंचा स्थान था:इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी ने कहा था,” कि महंत जी का शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में बहुत ऊंचा स्थान था. उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना का भी महान कार्य किया. उनका नाम असहयोग आंदोलन से भी जुड़ा था. साइमन कमीशन और हैदराबाद सत्याग्रह से भी वे संबंधित रहे. वे प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर के महंत थे.”

अकेले होने के बाद भी उनकी आवाज दृढ़ थी: अटलजी

अटलजी ने कहा था,” महंत दिग्विजयनाथ महाराज हमारे साथी थे. इस संसद में कंधे से कंधा लगा कर हम काम करते थे और भारत के निर्माण में योगदान देते थे. वह हमारे स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों में से थे. 1921 के असहयोग आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया था. उनका क्रांतिकारियों के साथ घनिष्ठ संपर्क था. ऐतिहासिक चौरीचौरा कांछ में उन्हें गिरफ्तार किया गया था. साइमन कमीशन का बहिष्कार करने के लिए उन पर विदेशी सरकार की कोप दृष्टि पड़ी थी.

वह देश के हिंदू राष्ट्रपति भी थे.

बाद में साम्प्रदायिकता एवं राष्ट्रीयता के प्रश्न पर उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ा. हिन्दू महासभा में शामिल हुए और अध्यक्ष बने. हालंकि संसद में उनकी आवाज अकेली थी. अपने दल के वे एकमेव प्रतिनिधि थे. लेकिन जो कुछ वे कहते, बड़ी दृढ़ता के साथ कहते थे. उनके विचारों से मतभेद हो सकता था, किंतु उनकी देशभक्ति, प्रामाणिकता और अपने विचारों के साथ तथा अपनी रोशनी के अनुसार देश की सेवा करने की जो ऐकांतिक भावना थी, उससे कोई मतभेद नहीं रख सकता था. वह देश के हिंदू राष्ट्रपति भी थे.

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