कोलकाता/नयी दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीनी तैयारियों में जुटी है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों राज्य के पार्टी सांसदों से बातचीत की और प्रदेश की राजनीतिक स्थिति और मुद्दों के बारे में उनका विचार जाना.
संसद के बजट सत्र के दौरान प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल के भाजपा सांसदों से बातचीत की और विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में उनकी राय पूछी. इससे समझा जा सकता है कि वर्ष 2021 के अप्रैल-मई में आसन्न विधानसभा चुनाव को पार्टी कितनी गंभीरता से ले रही है.
प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों तक छोटे दल के रूप में जानी जाने वाली भाजपा ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश की 42 में 18 लोकसभा सीट जीतकर सबको स्तब्ध कर दिया था. भाजपा को उम्मीद है कि प्रदेश की तृणमूल सरकार पर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण एवं विकास के अभाव के आरोपों के मद्देनजर हिंदू मतों के एकजुट होने से उसे राज्य में सत्ता पर काबिज होने में मदद मिलेगी.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया, ‘मोदीजी ने प्रत्येक सांसद से मिलने का निर्णय किया. वह पार्टी सांसदों से अनेक राजनीतिक एवं विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं. इससे पार्टी सांसदों का मनोबल बढ़ता है और चुनाव से पहले उन्हें ऊर्जा मिलेगी.’
पार्टी सांसद लॉकेट चटर्जी ने कहा कि मोदीजी ने पूछा कि विधानसभा में जीत के लिए क्या किया जाना चाहिए और केंद्र सरकार की कल्याण योजनाओं के बारे में लोगों की क्या राय है. गौरतलब है कि चटर्जी संसद में जनता एवं प्रदेश से जुड़े मुद्दों को मुखर रूप से उठाती हैं.
वर्ष 2016 में विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की 295 सदस्यीय विधानसभा में 211 सीटें जीती थी, जबकि वाम मोर्चा एवं कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं. भाजपा ने 3 सीटें जीती थीं. भाजपा का वोट शेयर 10 प्रतिशत जबकि तृणमूल कांग्रेस का 45 प्रतिशत था.
बहरहाल, प्रदेश में वर्ष 2019 में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया, जब वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 40 प्रतिशत से अधिक हो गया, जबकि तृणमूल कांग्रेस का 44 प्रतिशत रहा.
उल्लेखनीय है कि हाल ही में हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब रहा और दिल्ली में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में पार्टी पश्चिम बंगाल में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है और हिंदुत्व के साथ विकास की रणनीति को आगे बढ़ाने पर जोर दे रही है.