नक्सली सुरेश कोड़ा की मौत की होती रही चर्चा, पुलिस व एसटीएफ ने जंगल में चलाया सर्च अभियान, नहीं मिला शव
हार्डकोर नक्सली सह सैक सदस्य सुरेश कोड़ा के मौत की चर्चा को लेकर एसटीएफ व जिला पुलिस की तरफ से सर्च अभियान चलाया गया. लेकिन पुलिस के हाथों कोई सफलता नहीं लगी.
बुधवार की सुबह से ही मुंगेर, जमुई व लखीसराय क्षेत्र के हार्डकोर नक्सली सह सैक सदस्य सुरेश कोड़ा के मौत की चर्चा क्षेत्र में फैल गयी. जिसके बाद एसटीएफ व जिला पुलिस हरकत में आई. और उसके शव के लिए बौकुड़ा, बरसमिया आदि जगहों पर जंगल में सर्च अभियान चलाया. लेकिन पुलिस के हाथों कोई सफलता नहीं लगी. कुछ दिनों से सुरेश कोड़ा के सरेंडर करने की भी चर्चा हो रही थी.
पहाड़ी व जंगली इलाकों में सर्च ऑपरेशन
इस संबंध में जिले में नक्सल ऑपरेशन के लिए तैनात एएसपी अभियान मोती लाल ने बताया कि उन लोगों के पास भी सुरेश कोड़ा की मौत की सूचना आयी थी, लेकिन जब तक उसका शव नहीं मिल जाता है तब तक वे इस बार में कुछ भी नहीं बता सकते हैं. उन्होंने बताया कि सूचना के बाद क्षेत्र के नक्सल प्रभावित पहाड़ी व जंगली इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन उसका शव बताये गये तथा उसके आसपास के जगहों पर नहीं मिला है.
नक्सली प्रवेश दा का खास सहयोगी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरेश कोड़ा उर्फ मुस्तकीम मुंगेर जिला के लड़ैयाटांड़ थाना क्षेत्र के पैसरा गांव निवासी निवासी चुटर कोड़ा का पुत्र है. सुरेश कोड़ा क्षेत्र के शीर्ष नक्सलियों में शामिल था, वह नक्सली दस्ते का सैक सदस्य था. वह नक्सलियों के हथियारों का स्टोर मैन था. सुरेश के पास ही नक्सलियों के महत्वपूर्ण हथियारों को संभालकर रखने की जिम्मेदारी थी. वह क्षेत्र के शीर्ष नक्सली प्रवेश दा का खास सहयोगी भी बताया जा रहा है.
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शव की हो रही खोज
सूत्र बताते हैं कि सुरेश भी अर्जुन, बालेश्वर व नागेश्वर कोड़ा की तरह नक्सली गतिविधि से अलग हटकर पुलिस के समक्ष सरेंडर कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ना चाह रहा था. जिसकी भनक शीर्ष नक्सली नेताओं को लग गयी. आशंका जतायी जा रही है कि इसी को लेकर सुरेश कोड़ा की हत्या कर शव को गायब कर दिया गया है. हालांकि पुलिस इस तरह की कहानियों पर ज्यादा विश्वास नहीं कर उसके शव की खोज में लगी है. शव मिलने के बाद ही आगे कुछ कहने की बात कह रही है.