बरेली में इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी ) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद गिरफ्तारी का ऐलान किया था. हालांकि 3 घंटे तक चले हंगामे के बाद तौकीर को पुलिस ने लौटा दिया. जिसके चलते भीड़ ने श्यामगंज इलाके में मारपीट करके पथराव कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने कुछ लोगों पर लाठी भी फटकारी. इस मामले में 110 लोगों के खिलाफ 2 मुकदमे में शुक्रवार को ही बारादरी थाने में दर्ज किए गए थे. लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. इस उपद्रव के 3 दिन बाद पुलिस अभी अराजक तत्वों को चिह्नित करने का काम कर रही है. फिलहाल बारादरी पुलिस ने दोनों पक्ष के 12 उपद्रवियों को चिह्नित कर उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश शुरू कर दी है. पुलिस की एक टीम सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल फोन के वीडियो व फोटो का परीक्षण कर उपद्रवियों के साफ चेहरे निकाल रही है. इसके बाद संबंधित इलाके के व्यापारियों व प्रतिष्ठित लोगों की मदद से उन चेहरों की पहचान कराई जा रही है. फोटो के साथ ही नाम व पते का रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है.
वहीं आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा सहित कई लोग इन दिनों भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले के नाजुक वक्त में अधिकारी उसे नजरअंदाज कर रहे हैं. हालांकि, कोतवाली क्षेत्र में फोर्स की तैनाती बरकरार है. बता दें कि रविवार शाम तक दोनों पक्षों के 12 आरोपियों की पहचान हो गई है. अधिकतर आरोपी घरों से फरार हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस को सौ से ज्यादा लोगों की पहचान व धरपकड़ करनी है. शहर की स्थिति सामान्य हो चुकी है. बाजार में सभी दुकानें खुल रही हैं. निगरानी के लिहाज से कुछ स्थानों पर पुलिस तैनात है. इस बीच अफवाहों का दौर जारी है. कभी किसी जगह बवाल, कभी किसी की गिरफ्तारी से हड़कंप जैसी खबरें सोशल मीडिया और मोबाइल फोन पर कॉल व मेसेज के जरिये दौड़ रही हैं. पुलिस से लेकर पत्रकारों के पास तक ऐसी भ्रामक सूचनाएं आ रही हैं.
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वहीं पुलिस आईएमसी के कार्यक्रम में आने का आह्वान करने वाले पर्चे छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस का पता लगाने में जुट गई है. इस्लामिया मैदान में कार्यक्रम का एलान किए जाने के बाद जिलेभर में भड़काऊ पोस्टर बांटे गए थे. पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उनको चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया है. भड़काऊ पोस्टर छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस का पता लगाकर संचालक की पहचान करने का भी प्रयास किया जा रहा है. ये पोस्टर बरेली से लेकर उत्तराखंड तक बांटे गए थे. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई शहरों तक पहुंचे थे. पुलिस का मानना है कि प्रिंटिंग प्रेस संचालक का पता लगने पर पोस्टर छपवाने वाले का भी नाम-पता सामने आ जाएगा. कोतवाल सदर दिनेश शर्मा ने बताया कि पुलिस पर्चे बांटने वाले खुराफातियों को भी चिह्नित कर रही है.
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गौरतलब है कि 4 फरवरी को इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी ) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा ने मीडिया को दरगाह आला हजरत स्थित अपने आवास पर बुलाया. इस दौरान कहा कि इस देश में मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. ज्ञानवापी को हम नहीं छोड़ सकते. ज्ञानवापी मस्जिद है. बाबरी पर हमने सब्र कर लिया. हम ज्ञानवापी को नहीं दे सकते. उन्होंने आगे कहा कि जब हम कुछ नहीं कर सकते तो ऐसी आजादी से बेहतर है कि हम खुद को गिरफ्तार करा दें. लोगों में काफी गुस्सा है. मेरी सभी से अपील है कि कोई भी ऐसा काम नहीं करना, जिससे गलत मैसेज जाए. जो भी प्रदर्शन या विरोध हो संवैधानिक दायरे में रहकर करें. मुझे न्यायालय पर भरोसा नहीं है. जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं है. जिन्होंने बाबरी पर फैसला दिया वह राज्यसभा सदस्य बने या सरकार ने उच्च पद दिए. जिसके बाद जेल भरो आंदोलन की बात कही. और कहा कि मैं जुमे से इसकी शुरूआत करूंगा. जिसमें जुमे पर कहा कि हल्द्वानी में मदरसे पर बुलडोजर चलाया गया.
फिर तौकीर रजा ने शुक्रवार को दरगाह आला हजरत पर नमाज पढ़ी. बाद में कहा कि हमारा नौजवान जवाब देगा, तो मुल्क के हालात खराब होंगे. हमने ज्यादती और जुल्म देखा है. हमारे लोगों को जबरदस्ती रोका गया. हमने अपने नौजवानों को कंट्रोल किया. हिंदू संगठन हुकूमत के दम पर बेईमानी कर रहे हैं. अदालत आस्था के अनुसार काम कर रही है. कुछ संगठन को कंट्रोल नहीं किया गया, तो दिक्कत होगी. अगर हुकूमत दंगा चाहती है, तो हम तैयार हैं. मेरी मांग है कि मुफ्ती सलमान अजहरी को रिहा किया जाए, बुलडोजर की कार्रवाई क्यों हो रही है? अदालत के सामने आरोपी को पेश करें. माइक लेकर हजारों की भीड़ में कहा था कि मुझे दूर की जेल भी भेजा जा सकता है. पोटा समेत कई धारा लगाई जा सकती हैं. इसलिए मेरे साथ गिरफ्तारी देने से पहले सोच लेना.