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दुष्कर्म की पीड़िता के घर रात 2 बजे नोटिस देने पहुंचे थे पुलिस अधिकारी, कोर्ट ने अधिकारियों पर लगाया जुर्माना

कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर नाराजगी जताई. अदालत ने सवाल किया कि जांच अधिकारी ने सीधे फोन पर सूचित किए बिना नोटिस तक पहुंचने का रास्ता क्यों चुना. जबकि उसके पास लेक पुलिस स्टेशन में महिला का फोन नंबर था.

पश्चिम बंगाल में पुलिस अधिकारी दुष्कर्म पीड़िता के घर रात 2 बजे नोटिस देने पहुंचे थे . इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस जयमाल्य बागची और जस्टिस गौरांग कंथेर की खंडपीठ ने लेक थाना और नरेंद्रपुर थाना की पुलिस पर भी जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आधी रात को महिला के घर जाकर नोटिस देना और उसे व्हाट्सएप पर कॉल करना कानून के खिलाफ है. घटना में खंडपीठ ने दोनों थाना प्रभारियों को पीड़िता से लिखित रूप से माफी मांगने का आदेश दिया. साथ ही कोर्ट ने एक हफ्ते के अंदर 5 हजार से 10 हजार रुपये तक जुर्माना भरने का आदेश दिया है.

क्या है मामला

मालूम हो कि लेक थाना क्षेत्र के एक दुष्कर्म मामले की शिकायतकर्ता का घर नरेंद्रपुर थाना क्षेत्र में है. अलीपुर कोर्ट ने 5 जुलाई को दोपहर में उनकी गवाही लेने की तारीख तय की. लेक थाने की पुलिस यही सूचना देने के लिए 29 जून को ई-मेल के माध्यम से नरेंद्रपुर थाने को संदेश भेजा. लेकिन आरोप है कि नरेंद्रपुर थाने की पुलिस ने उस ई-मेल पर ध्यान नहीं दिया. 4 जुलाई को दोबारा नरेंद्रपुर थाने को सूचना देने के बाद आधी रात को पीड़िता के ‘व्हाट्सएप’ पर कॉल करने के साथ ही रात 2 बजे पुलिस नोटिस लेकर उसके घर पहुंची.

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कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर जताई है नाराजगी

मामले की सुनवाई के दौरान यह जानकारी सामने आने पर कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर नाराजगी जताई. अदालत ने सवाल किया कि जांच अधिकारी ने सीधे फोन पर सूचित किए बिना नोटिस तक पहुंचने का रास्ता क्यों चुना. जबकि उसके पास लेक पुलिस स्टेशन में महिला का फोन नंबर था. साथ ही जस्टिस बागची ने सवाल किया कि क्या आधी रात को पुलिस किसी महिला के घर जा सकती है या बुला सकती है. कोर्ट ने राय व्यक्त की है कि पुलिस की यह कार्रवाई निंदनीय है.

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 आखिर  युवक को निजी जमानत पर रिहा क्यों किया गया

गौरतलब है कि कोर्ट में गवाही देते समय पीड़िता ने अदालत के जज काे ध्यान दिलाया कि कोर्टरूम में विशाल पेरीवाल नाम का युवक बैठा है. उसके पीड़िता को एकची कॉफी शॉप में बुलाया था और शिकायत का निपटारा करने का अनुरोध किया था. इसके बाद जज ने युवक को कोर्ट रूम से ही पुलिस के हवाले कर दिया. लेकिन लेक थाने की पुलिस ने उसी रात शिकायत दर्ज कर युवक को निजी जमानत पर रिहा कर दिया. कोर्ट ने सवाल किया कि इतने गंभीर आरोप के बाद भी पुलिस अपने फैसले पर उन्हें थाने से कैसे रिहा कर सकती है. डिविजन बेंच के मुताबिक जांच अधिकारी और लेक पुलिस स्टेशन के ओसी की भूमिका संदेह से परे नहीं है.

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