सीवान. दुनियाभर के कई देश कोरोना वायरस के कहर से जूझ रहे है और भारत में भी इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है. भारत में कोरोना से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 250 तक पहुंच गयी है. लोगों के चेहरे पर इसका डर साफ देखा जा सकता है. कोरोना के डर के चलते बिहार में पुलिस ने बिना मेडिकल फिटनेस के कैदी को जेल में लेने से इनकार कर दिया.
शुक्रवार को लकरीनवीगंज ओपी क्षेत्र से गिरफ्तार एक वारंटी को लेकर मंडल कारा पहुंचे, तो जेल गेट पर कर्मचारियों ने कैदी का मेडिकल फिटनेस मांगा, तो जवानों ने सदर अस्पताल की पर्ची दिखा दिया. जेल कर्मचारियों ने यह का कब बंदी को लेने से इन्कार कर दिया कि इसकी कोरोना वायरस की जांच नहीं हुई है. कर्मचारियों ने कोरोना वायरस जांच कराएं जाने के बाद ही बंदी को लेने की बात कही. लकड़ीनवीगंज ओपी का जवान बंदी को एक अपना सदर अस्पताल पहुंचा तथा कोरोना वायरस जांच करने की बात कही. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर रजी अहमद ने जवान को समझाते हुए कहा कि सदर अस्पताल में इस जांच की व्यवस्था नहीं है. जवान द्वारा जब दबाव बनाया गया, तो डॉक्टर ने उसे जांच के लिए एनएमसीएच रेफर कर दिया.
जवान पर्ची व बंदी को लेकर जेल गेट पर पहुंचा तथा डॉक्टर की पर्ची थमा दिया. पर्ची देखने के बाद जेल के कर्मचारियों ने पुनः बंदी को लेने से इनकार करते हुए लौटा दिया. बंदी के साथ आये दोनों पुलिस के जवान सदर अस्पताल पहुंचे तथा डॉक्टर से अपनी परेशानी बताते हुए कोई उपाय निकालने को कहा. डॉक्टर ने पर्ची को बदलकर यह लिख दिया कि बंदी में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे हैं. उसके बाद जवान बंदी को लेकर जेल में जमा करने के लिए निकल गये. जेल अधीक्षक राकेश कुमार ने कहा कि जेल गेट पर कर्मचारियों ने गलती किया है. बंदी को जमा कर देना चाहिए था. जेल के अंदर नये बंदियों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है. तीन दिन आइसोलेशन वार्ड में रखने के बाद उन्हें अन्य कैदियों के साथ वार्ड में रखा जाता है